सुल्तानगंज की अछि ? जाह्न्नु गिरी व जहांगीरा?
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कनिंघम न॑ कहल॑ छै कि सुल्तानगंज क॑ जहांगीर न॑ पुनः स्थापित करलकै, ई लेली ओकरा ‘जहंगीरा’ कहलऽ जाय हय ।
हिन्दू धर्मशास्त्र के अनुसार ई जाह्नविगिरी आ जाह्नुगिरी छै जेकरऽ अपभ्रंश रूप जहांगीरा छै । एहि संबंध मे आम लोक मे बहुत भ्रांति हय ।
एकटा विवाद अछि जे वामपंथी इतिहासकार कनिंघम के मानैत छथि ओ जहांगीर के बस्ती बसनिहार मानैत छथि, जकर परिणाम ई अछि जे ओ बहुत सहिष्णु आ जन-अनुकूल रहै |
इतिहासकार लेल ई स्थान बहुत रोचक छल । राजेन्द्रलाल मित्र एकरा बौद्ध लोकनिक स्थान कहैत रहला | इतिहासकार मित्र आ सर्वेयर फ्रांसिस बुकानन जखन एकरा जैनक स्थान कहलनि तखन कनिंघम एहि मुद्दा पर किछु नहि कहलनि ।
बात एहि स्थानक नामक अछि, तेँ पहिने एकर निपटारा करब आवश्यक अछि ।
कनिंघम के पूरा नाम अलेक्जेंडर कनिंघम रहे हल । हुनका ‘सर’क उपाधि भेटलनि। ओ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के स्थापना केलनि । ओ ब्रिटिश इंजीनियर छलाह मुदा सौभाग्यवश इतिहासकार बनि गेलाह । सड़क बनबैत काल हुनका किछु पाथर भेटलनि आ पाथरक दुर्दशा हुनकर पेशा बदलि देलकनि ।
ओ भारतक नहि छलाह मुदा पढ़ि-लिखि आ विभिन्न स्थानक यात्रा कए भारत केँ चिन्हबाक प्रयास केँ कम नहि आंकल जा सकैत अछि ।
ई कनिंघम आरू हुनकऽ शिष्य बेगलर न॑ सुल्तानगंज क॑ दिल्ली सल्तनत केरऽ सम्राट जहांगीर द्वारा पुनः स्थापित करलऽ गेलऽ बतैलकै जेकरा मुगल आक्रमणकारी न॑ नष्ट करी देल॑ छेलै । हुनका लोकनिक मानब छलनि जे सम्राट जहांगीर एहि स्थान केँ एकटा महंत हरिनाथ भारती केँ सौंपने छलाह आ ताम्रक शिलालेख उपलब्ध करौलनि | आगू ओ अपन 1872-73 क यात्रा रिपोर्ट मे लिखैत छथि जे ओ तांबा क इ शिलालेख नहि देखने छलाह, बल्कि एकर बारे मे मात्र सुनने छलाह।
इतिहास मात्र सुनल-सुनल बात पर भरोसा नहि करैत अछि। एकरा लेल हुनका पुरातात्विक प्रमाण चाही। कनिंघम आ हुनकर सहायक जीडी बेगलर एहि संबंध मे इतिहासकार कए संतुष्ट नहि केलथि । एतय एकटा बात आओर सोझाँ अबैत अछि जे जखन दशनामी सम्प्रदायक महंत हरिनाथ भारती केँ जहांगीर द्वारा ‘पुनः बसाओल गेल’ तखन एकर मतलब ई जे ओ पहिने सँ ओतय बसल छलाह | जँ पहिने सँ निपटल छल तखन एकर नाम ‘जहांगीर’ पर कोना पड़ल?
1810-11 में भागलपुर जिला के सुल्तानगंज यात्रा के दौरान सर्वेयर बुकानन लिखने छलाह जे जुंगीरा के पहाड़ी (नाम अपभ्रंश) हरिनाथ भारती नामक दशनामी भिक्षु के अधिकार में छल | आगू लिखैत छथि जे वर्तमान मे हुनकर भिक्षु के 14म पीढ़ी एतय रहैत छथि |
आश्चर्य के बात ई छै कि जहनुगिरी के इतिहास के शुरुआत खुद हरिनाथ भारती स॑ करै लेली एक निश्चित वर्ग द्वारा ई महंत, एक बाघ, आरू बाबा वैद्यनाथ के बहुत कहानी के निर्माण करलऽ गेलऽ छै जेकरा स॑ ‘हरिनाथ भारती’ शब्द जनमानस म॑ प्रचलित बनलऽ रहै आरू… जहांगीरा के मान्यता भेटैत रहैत अछि।
ई स्पष्ट अछि जे हरिनाथ भारती सँ पहिने सेहो कतेको एहन प्रसिद्ध महंत हेताह जिनका बारे मे शोध अनिवार्य अछि । तखन मात्र हरिनाथक चर्चा किएक होइत अछि ?
बुकानन के ऐला के 62 साल बाद कनिंघम एतय पहुंचैत छथिन्ह. मुदा जहांगीरक ओ आदेश हुनका नहि भेटलनि । तेँ ओ एहि विषय मे आगू नहि लिखलनि ।
१८२२ मे हेनरी लुई विवियन डेरोज़ियो अपन बहुचर्चित आ लघु कविता मे एहि स्थानक नाम जुंघीरा लिखने छलाह । एकरऽ मतलब छै कि बुकानन केरऽ सर्वेक्षण केरऽ १०-११ साल बाद भी ई जगह केरऽ नाम ‘जंगहीरा’ होय रहलऽ छेलै । एकरऽ मतलब ई भी छै कि कुछ सौ साल पहलें भी ई जगह क॑ ई नाम स॑ बोलैलऽ जैतै ।
जहांगीरक शासनकाल १७म शताब्दीक तेसर दशक धरि चलल। एहि कालखंड मे सेहो एहि विशेष स्थानक बहुत महत्व अवश्य रहल होयत । कारण एहि सँ पहिने सेहो एतय पुरातात्विक महत्वक बहुत रास वस्तु भेटल अछि जाहि मे कुशान आ गुप्त कालक चानी आ सोनाक सिक्का सेहो अछि | कुशन सम्राट शिव आ बुद्ध के उपासक आ गुप्त सम्राट विष्णु के उपासक छलाह | गुप्त लोकनिक राजप्रतीक गरुड़ छल जकरा भगवान विष्णु केर वाहन कहल जाइत अछि, मुदा बौद्ध लोकनिक मान्यताक प्रति हुनका लोकनिक कोनो विरोध नहि छलनि | हुनका द्वारा बुद्ध के बहुत रास मूर्ति के स्थापना के संदर्भ भेटैत अछि |
एतय उक्त पहाड़ी पर शिव, विष्णु आ बुद्ध के मूर्ति भेटैत अछि जे गुप्त काल के अछि | गुप्त काल के बहुत रास संक्षिप्त शिलालेख सेहो भेटैत अछि | अद्वितीय शिवलिंग सेहो एतय भेटैत अछि | एकटा पाथरक ब्लॉक पर सेहो एक जोड़ी पैरक निशान भेटल अछि जाहि पर ‘रुद्रपद’ लिखल अछि, जे अपने आप मे अद्वितीय अछि । अद्वितीय एहि लेल जे विष्णु आ हुनक राम अवतार के पाद पूजा के परंपरा छल मुदा शिव के पाद पूजा के परंपरा के ई प्रतीक संभवतः एकमात्र अछि |
उपलब्ध ऐतिहासिक प्रमाण ई दर्शाबय लेल पूर्ण अछि जे प्राचीन काल सँ (जखन इस्लाम के जन्म तक नहि भेल छल) एहि पवित्र स्थान के जहनगीरा के नाम स नहि ‘जहनुगिरी’ या ‘जहंवीगिरी’ के नाम स जानल जाइत छल |
गंगाजी के भीतर एकटा छोट पहाड़ी के जाहनुगिरी कहय के प्रथा बहुत प्राचीन अछि, जे बिहार के भागलपुर जिला के पटना भागलपुर मुख्य सड़क पर स्थित अछि | दुनिया के सबस लम्बा मेला एतय हर साल श्रावण महीना में लागैत अछि जे एक महीना तक चलैत अछि | लाखों श्रद्धालु एतय जा क उत्तरी गंगा नदी स पानि भरि कए करीब 108 किलोमीटर दूर झारखंड क देवघर मे स्थित वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग कए चढ़बैत छथि । एहि ठाम सरकार पिछला 2 साल स जल अर्पण क अनुमति नहि देलक अछि।
एकरा ‘जहनुगिरी’ नामसँ कहबाक प्रवृत्ति हेबाक चाही । एकर नाम बदलबाक संकल्प सेहो बेर-बेर स्थानीय स्तर स सरकार कए पठाउल जाए ताकि एकरा अपन असली रूप मे देखल जा सकए।
उदय जी, बाँका जिला
फोटो : सौजन्य सँ
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