समय
जाने कब पंख लगा के समय उड़ गया।
मैं सोचती ही रह गई ,धीरे-धीरे जीवन के हर वह लम्हे गुजर गए।
जिनके देखे थे ख्वाब हमने।
आया अब उम्र का वह पडाव जब देखा पीछे मुड़कर हमने।
ख्वाबों की दुनिया छूट गई जाने कहां, रखा है अब हकीकत की दुनिया में कदम हमने।
कभी जो आईना लगता था अपना सा हमें।
आज वही लगता है अपनों में बेगाना सा हमें।।
जाने कब पंख लगा के समय उड़ गया।
मैं सोचती रह गई,धीरे-धीरे जीवन के हर लम्हे गुजर गए ।
जाने कब बचपन बीता जवानी की चाहत में।
जवानी के मेले भी जाने कब बीत गए ख्वाबों के झमेले में।
अब आया है, उम्र का वह पड़ाव।
मिल रहे हैं जहां जवानी और बचपन दोनों ही जनाब।।।
जाने कब पंख लगा के समय उड़ गया।
मैं सोचती ही रह गई, धीरे-धीरे हर लम्हा गुजर गया।।
यह जीवन बड़ा अनमोल है, ना मिटा तू इसे हर किसी की चाहत में।
रख अपनी चाहत का खुद ही मोल तू , क्योंकि गुजार रहा है यहां अनमोल लम्हा तू।
जाने कब पंख लगा के समय उड़ गया।
मैं सोचती रह गई धीरे-धीरे जीवन के हर लम्हें गुजर गए।।