Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 May 2024 · 1 min read

“सबके हित के लिए”

“सबके हित के लिए”
जितना हो तेरे अन्दर
बस उतना ही दिख,
सबके हित के लिए,
जितना हो सके चीख।

2 Likes · 2 Comments · 33 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
You may also like:
बादल
बादल
लक्ष्मी सिंह
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मां वो जो नौ माह कोख में रखती और पालती है।
मां वो जो नौ माह कोख में रखती और पालती है।
शेखर सिंह
बेशक हुआ इस हुस्न पर दीदार आपका।
बेशक हुआ इस हुस्न पर दीदार आपका।
Phool gufran
अक्सर चाहतें दूर हो जाती है,
अक्सर चाहतें दूर हो जाती है,
ओसमणी साहू 'ओश'
आप जब तक दुःख के साथ भस्मीभूत नहीं हो जाते,तब तक आपके जीवन क
आप जब तक दुःख के साथ भस्मीभूत नहीं हो जाते,तब तक आपके जीवन क
Shweta Soni
आज सर ढूंढ रहा है फिर कोई कांधा
आज सर ढूंढ रहा है फिर कोई कांधा
Vijay Nayak
विटप बाँटते छाँव है,सूर्य बटोही धूप।
विटप बाँटते छाँव है,सूर्य बटोही धूप।
डॉक्टर रागिनी
भेंट
भेंट
Harish Chandra Pande
लहर आजादी की
लहर आजादी की
चक्षिमा भारद्वाज"खुशी"
सीधे साधे बोदा से हम नैन लड़ाने वाले लड़के
सीधे साधे बोदा से हम नैन लड़ाने वाले लड़के
कृष्णकांत गुर्जर
नवरात्रि-गीत /
नवरात्रि-गीत /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
क्यूँ ख़ामोशी पसरी है
क्यूँ ख़ामोशी पसरी है
हिमांशु Kulshrestha
बसंत
बसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
इस गुज़रते साल में...कितने मनसूबे दबाये बैठे हो...!!
इस गुज़रते साल में...कितने मनसूबे दबाये बैठे हो...!!
Ravi Betulwala
जीवन : एक अद्वितीय यात्रा
जीवन : एक अद्वितीय यात्रा
Mukta Rashmi
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
हम यथार्थ सत्य को स्वीकार नहीं कर पाते हैं
हम यथार्थ सत्य को स्वीकार नहीं कर पाते हैं
Sonam Puneet Dubey
फूल चुन रही है
फूल चुन रही है
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
सुनले पुकार मैया
सुनले पुकार मैया
Basant Bhagawan Roy
दिल की गुज़ारिश
दिल की गुज़ारिश
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
संवेग बने मरणासन्न
संवेग बने मरणासन्न
प्रेमदास वसु सुरेखा
🙅कड़वा सच🙅
🙅कड़वा सच🙅
*प्रणय प्रभात*
सर्दी के हैं ये कुछ महीने
सर्दी के हैं ये कुछ महीने
Atul "Krishn"
"खुद को खुली एक किताब कर"
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
"आशा" के दोहे '
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
आदमी की आँख
आदमी की आँख
Dr. Kishan tandon kranti
दोहा-सुराज
दोहा-सुराज
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
गाँव बदलकर शहर हो रहा
गाँव बदलकर शहर हो रहा
रवि शंकर साह
बस्ते...!
बस्ते...!
Neelam Sharma
Loading...