कवि, लेखक, विचारक एवं प्रशासनिक अधिकारी- साहित्य वाचस्पति श्री किशन टण्डन क्रान्ति द्वारा रचित कृति : 'परछाई के रंग' काव्य-संग्रह में 87 कविताएँ संग्रहित हैं। इसमें न केवल बचपन की... Read more
कवि, लेखक, विचारक एवं प्रशासनिक अधिकारी- साहित्य वाचस्पति श्री किशन टण्डन क्रान्ति द्वारा रचित कृति : ‘परछाई के रंग’ काव्य-संग्रह में 87 कविताएँ संग्रहित हैं। इसमें न केवल बचपन की कल्पनाओं को खूबसूरत शब्द देकर इन्द्रधनुषी रंग भरे गए हैं, वरन वैचारिकी द्वारा आधुनिक एवं पुरातन धरोहरों को बहुत सुन्दर ढंग से संरक्षित भी किया गया है।
श्री किशन टण्डन क्रान्ति की लेखनी की धार इससे पता चलता है कि आपके द्वारा सेक्स वर्करों की दर्द में डूबी जिन्दगी के बारे में लिखे गए- “अदा” उपन्यास आज विश्व में सर्वाधिक पढ़े जाने वाले उपन्यासों में से एक है।
‘परछाई के रंग’ में संग्रहित कविताएँ जीवन- जगत से साक्षात्कार कराती हैं। लोग कहते हैं कि परछाई काली होती है, लेकिन कृति को पढ़ने से ज्ञात होता है कि परछाई का कोई रंग नहीं होता। इन्द्रधनुषी रंगों से सराबोर यह काव्य-संग्रह पठनीय एवं संग्रहणीय है।