*अभागे पति पछताए (हास्य कुंडलिया)*
फूल मुरझाए के बाद दोबारा नई खिलय,
ना कहीं के हैं हम - ना कहीं के हैं हम
यादों पर एक नज्म लिखेंगें
इस दुनिया का प्रत्येक इंसान एक हद तक मतलबी होता है।
क्यों गम करू यार की तुम मुझे सही नही मानती।
आप और हम जीवन के सच....…...एक कल्पना विचार
इन आँखों में इतनी सी नमी रह गई।
सदियों से जो संघर्ष हुआ अनवरत आज वह रंग लाई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
तुमने कितनो के दिल को तोड़ा है
यूं कीमतें भी चुकानी पड़ती है दोस्तों,
जैसे पतझड़ आते ही कोयले पेड़ की डालियों को छोड़कर चली जाती ह
माँ की आँखों में पिता / मुसाफ़िर बैठा
विद्यार्थी को तनाव थका देता है पढ़ाई नही थकाती