सत्य की खोज
एक जीवन सत्य की खोज में ,
भ्रांतियों के समुद्र में डूबता, उबरता ,
निष्ठुर प्रकृति की मार को झेलता ,
त्रासदियों के कष्टों का सामना करता ,
क्रोध ,दंभ , द्वेष, लालसा, वासना से निरापद रहता,
फिर भी अनवरत अपने पथ पर अग्रसर रहता,
इससे अनभिज्ञ कि स्वतंत्र सत्य का अस्तित्व नहीं होता,
केवल सत्यता का ही अस्तित्व होता है,
जिसमें अव्यक्त असत्य का अंश होता है,
जिससे सत्य का प्रभाव क्षीण नहीं होता है ,
अस्तुः , असत्य हर संभव सत्य में विद्यमान होता है।