सत्यदेव
# सत्यदेव
एक कथा महभारत आई।
सत्य फलित जीवन में भाई ।।
सत्यदेव इक नामी राजा ।
धर्म शास्त्र सम्मत हर काजा।।
एक बार नृप के दरबारा।
नार रूप लक्ष्मी ने धारा।।
विदा माँग रही मुझे जाना ।
सत्यदेव लक्ष्मी पहचाना।।
राजा नहीं कहा मत जाओ ।
रहना जहाँ उचित घर पाओ।।
पाछे दान पुरुष के रूपा।
कहने लगा त्याग कर भूपा।।
राजा कहा सुनो श्री माना।
जाओ मिले जहाँ सम्माना।।
यश ने देखा सबको जाते ।
कहने लगा खत्म नृप नाते।।
राजा त्याग दिया तत्काला।
नहीं किया चिंतन महिपाला।।
सदाचार मन किया विचारा।
मेरा अब रहना बेकारा।।
वेश बदल राजा ढिग आया।
रहा बहुत दिन मन उकताया।।
रोका नहीं किसी को राजा ।
सत्य कहा मेरा क्या काजा।।
मैं भी आज्ञा लेने आया ।
हाथ जोड़ नृप शीश झुकाया।।
राजा कहा तुम्हारे कारण।
त्यागे सब गुण मानव धारण।।
तुम्ही नाथ कहते हो जाना ।
सत्य कहूँ मम नहीं ठिकाना ।।
वापस हुआ सत्य सुन बानी।
सत्य संग लौटे सब दानी।।
जहाँ सत्य लक्ष्मी का वासा।
सदाचार यश दान प्रकाशा।।
सत्य समान धर्म नहि दूजा ।
सत्य देव की करलो पूजा ।।
भारत वंशी कथा कहानी ।
मानवता हित लिखी बखानी ।।
राजेश कौरव सुमित्र