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10 May 2024 · 1 min read

पुस्तकों की पुस्तकों में सैर

पन्नों पर रची कल्पना सृष्टि
उड़ती परियां, वाचाल पक्षी और दिव्य दृष्टि !

एक दिन छोड़कर माया
प्रवेश हुई पुस्तक में काया |

बैठी छांव कल कल्पवृक्ष के
और पारस से स्वर्ण बनाया |

चंद्रकांता की तिलस्म में खो गए
दुष्यंत को भी मुद्रिका थमाया |

सिंदबाद के संग सागर की लहरों पर
चतुर्दिक शौर्य की पात्र बने |

मित्र अभिन्न कुछ चढ़े कसौटी,
खैर पुस्तक बंद कर जो मैं लौटी,
सब वैसे ही मिला तथ्यता के यथार्थ धाम,
पर हृदय में समाए थे ग्रंथ तमाम !

Language: Hindi
22 Views
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