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17 Apr 2022 · 1 min read

शीर्षक पापा तुम श्रद्धेय हो मेरे

उऋण नहीं मैं हो सकती हूँ,
बोलो कैसे हो सकती हूँ?
आप मुझे धरती पर लाए
अनगिन हैं उपकार आपके।
सोचती हूं हर दम बस मैं
करूँ समर्पित जीवन फिर भी,
चुका नहीं पाऊं उपकार मैं सारे
बोलो कैसे भूल पाऊं मैं?
जीवन की हर सीख मुझे दी,
जीवन जीना सिखाया आपने
मुझे वक्त का ज्ञान कराया
बोलो कैसे भूल जाऊं मैं?
अच्छा बुरा बताकर मुझको,
सदा चेताया गलत काम से
राह गलत से सदा बचाया
बोलो तो कैसे ऋण ये चुकाऊं?
फर्ज निभाऊं बेटे का मैं,
पूरा कर सपनों को सारे!
सदा कमाऊं नाम जगत में,
बोलो कैसे न आपका नाम करूँ मैं?
पापा !तुम मेरे पूजनीय
पल पल रहते दिल मे मेरे
पापा! तुम श्रद्धेय हो मेरे
बोलो कैसे उऋण हो सकती हूँ?
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद

1 Like · 1 Comment · 123 Views
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