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2 Jun 2023 · 1 min read

*पिता (दोहा गीतिका)*

पिता (दोहा गीतिका)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(1)
जब तक जीवित हैं पिता ,सब कुछ है आसान
बेफिक्री की जिंदगी ,बोझों से अनजान
(2)
क्षण में बेटा हो गया ,जैसे वृद्ध समान
अर्थी में बँध जब गए , बाबूजी शमशान
(3)
समझाते हर क्षण पिता , टेढ़ी – मेढ़ी चाल
फूल-शूल सब संग हैं ,विधि का रचा विधान
(4)
रोज बहीखाता लिखा , नफा और नुक्सान
बाबूजी ने बस पढ़ा , रोटी वस्त्र मकान
(5)
बच्चों को यह क्या पता ,कितनी भारी जेब
किया पिता से रोज ही ,फरमाइश का गान
(6)
दोपहरी की धूप में ,छाते को ज्यों तान
बच्चों के हित सर्वदा ,तत्पर पिता महान
(7)
जिनके नहीं पिता रहे , बालक हुए अनाथ
खिसकी धरती पैर से ,औंधी गिरी उड़ान
————————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451

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