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28 Feb 2023 · 1 min read

शीर्षक:फागुन की बेला

——फागुन की बेला —–
फागुन के ये हर्षित बेला
सुमन सरसो महक उठे
खेत हरियाली से दमक उठे
फूटे ठूठ में भी नव कोंपल
प्रणय निवेदन करती प्रकृति
मन मनुहार लुभावन सी।

मादकता सर्दी की छंट चली
गर्मी मानो उत्साहित सी
अधर धरी मुस्कान फाग की
उमंगित मन मचले होली को
प्रीत भरी होली हो अपनी
रंगीन प्रीत की प्यारी हो होली

चटक धूप खिल उठी हैं अंगना
दूब हरियाली को आतुर
खिली धूप की स्वर्णिम आभा
रंगों के उत्सव को मन डोला
प्रेम कहानी हुई शुरू मानो
सर्दी ठिठकी गर्मी अकड़ी

डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद

Language: Hindi
91 Views
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