Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 May 2024 · 1 min read

मैं एक पल हूँ

*** ** ** ** ***
मैं एक पल हूं
आता हूं
और पल में चला जाता हूं।
मुझे ढूंढेगा कहा
मैं सारे जहां मैं समाता हूं।
आज पास हूं
कल दूर में जाता हूं।
आज खोया हूं
कल फिर मैं लौट आता हूं।
यही जिंदगी है
तो मैं इस जिंदगी में कहां समाता हूं।
आज हूं मैं
न जाने कल मैं कहां जाता हूं।
ढूंढ ना पायेगा कोई मुझे
खुद को भी, मैं कहा पाता हूं।
समय नहीं है ये
गुजरता और लौट आता।
ये ही जिंदगी है
आज है
कल नहीं कोई इसे पाता।
सांस चले ना चले
पर उसके बिना जिंदगी कौन चलाता।
खुदा नहीं कोई कहीं
फिर और कुछ समझ में भी तो नहीं आता।
मैं हूं कहां कोई सार समझ में नहीं आता।
माना कि खुदा है हर जगह
पर वो कहीं नजर भी तो नहीं आता।
** *** **
Swami Ganganiya

Language: Hindi
1 Like · 23 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पर्यावरण
पर्यावरण
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
सत्ता में वापसी के बाद
सत्ता में वापसी के बाद
*प्रणय प्रभात*
*मैं बच्चों की तरह हर रोज, सारे काम करता हूँ (हिंदी गजल/गीति
*मैं बच्चों की तरह हर रोज, सारे काम करता हूँ (हिंदी गजल/गीति
Ravi Prakash
कोशिश करना छोड़ो मत,
कोशिश करना छोड़ो मत,
Ranjeet kumar patre
जब ख्वाब भी दर्द देने लगे
जब ख्वाब भी दर्द देने लगे
Pramila sultan
इंसान चाहे कितना ही आम हो..!!
इंसान चाहे कितना ही आम हो..!!
शेखर सिंह
शिकारी संस्कृति के
शिकारी संस्कृति के
Sanjay ' शून्य'
हमारे पास हार मानने के सभी कारण थे, लेकिन फिर भी हमने एक-दूस
हमारे पास हार मानने के सभी कारण थे, लेकिन फिर भी हमने एक-दूस
पूर्वार्थ
हिजरत - चार मिसरे
हिजरत - चार मिसरे
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
*मैं वर्तमान की नारी हूं।*
*मैं वर्तमान की नारी हूं।*
Dushyant Kumar
2889.*पूर्णिका*
2889.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
उसकी गली तक
उसकी गली तक
Vishal babu (vishu)
तोलेंगे सब कम मगर,
तोलेंगे सब कम मगर,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
क्या रखा है???
क्या रखा है???
Sûrëkhâ
स्वामी विवेकानंद ( कुंडलिया छंद)
स्वामी विवेकानंद ( कुंडलिया छंद)
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
गीत नया गाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"रात यूं नहीं बड़ी है"
ज़ैद बलियावी
आप करते तो नखरे बहुत हैं
आप करते तो नखरे बहुत हैं
Dr Archana Gupta
*.....मै भी उड़ना चाहती.....*
*.....मै भी उड़ना चाहती.....*
Naushaba Suriya
अज़ीज़ टुकड़ों और किश्तों में नज़र आते हैं
अज़ीज़ टुकड़ों और किश्तों में नज़र आते हैं
Atul "Krishn"
ऐ दिल न चल इश्क की राह पर,
ऐ दिल न चल इश्क की राह पर,
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
"जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
मंजिलें
मंजिलें
Santosh Shrivastava
आज हैं कल हम ना होंगे
आज हैं कल हम ना होंगे
DrLakshman Jha Parimal
गिरगिट को भी अब मात
गिरगिट को भी अब मात
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
* हो जाओ तैयार *
* हो जाओ तैयार *
surenderpal vaidya
कुत्ते
कुत्ते
Dr MusafiR BaithA
"" *रिश्ते* ""
सुनीलानंद महंत
चलो मैं आज अपने बारे में कुछ बताता हूं...
चलो मैं आज अपने बारे में कुछ बताता हूं...
Shubham Pandey (S P)
कहे स्वयंभू स्वयं को ,
कहे स्वयंभू स्वयं को ,
sushil sarna
Loading...