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15 Aug 2023 · 1 min read

वतन की राह में, मिटने की हसरत पाले बैठा हूँ

वतन की राह में, मिटने की हसरत पाले बैठा हूँ
न जाने कबसे मैं, इक दीप दिल में बाले बैठा हूँ
भगत सिंह की तरह, मेरी शहादत दास्ताँ में हो
यही अरमान लेके, मौत अब तक टाले बैठा हूँ
मिरे दिल की सदायें, लौट आईं आसमानों से
ख़ुदा सुनता नहीं है, करके ऊँचे नाले बैठा हूँ
थके हैं पाँव, मन्ज़िल चन्द ही क़दमों के आगे है
मुझे मत रोकना, अब फोड़ सारे छाले बैठा हूँ
मिरी ख़ामोशियों का, टूटना मुमकिन नहीं है अब
लबों पर मैं न जाने, क़ुफ़्ल* कितने डाले बैठा हूँ
___________________
*क़ुफ़्ल (قفل) — ताले
– महावीर उत्तरांचली

2 Likes · 2 Comments · 315 Views
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