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11 Apr 2020 · 1 min read

कोरोना :शून्य की ध्वनि

आज बटोही न तू पथ का,
बिकट शत्रु सच शक संवत का
विनाशकारी अविष्कार सफल है,
दुष्परिणाम मानव के हठ का

शून्य की ध्वनि को सुना आज है

इसमें सिमटा, सम्पूर्ण समाज है
एक विषाणु का सामर्थ्य तो देखो
चीन का क्या ये कोई राज है?

कुछ विवाद मे पड़े हुए है
तरु की एक साखा पर खगकुल
“विचरण करते थे धरा पर
ऐसे सब क्यों आज है ब्याकुल”

फाख्ता बच्चो को सहलाती बोली
जिसकी न कोई औषधि न गोली
मात्र शवों के अब, ढेर लगे है
और भय की, बिखरी रंगोली

ऐसी अंतिम यात्राओ का
भार को अब नर नार उठाते
एक पल भी अब देख न पाते
जिनको हर पल प्यार जताते.

बच्चे को “मैं छू तो लू “
अशृलिप्त माता थी बोली
पर चिकित्शक बाधक बनकर ….
दरवाजा ढककर, वो भी रोली

इंसानो के स्वार्थ का जैसे
तांडव सा प्रतीत है होता !
महत्वकांशी कुछ असुरो से
सबजन का अतीत भी रोता

विलखते बच्चो की आवाज सुनी क्या
और वृद्ध पिता की चिंता
मगर वो भी सुनलिया आज तो
जिसकी ध्वनि अबतक थी मिथ्या………

Language: Hindi
2 Comments · 275 Views
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