ना होगी खता ऐसी फिर
ना होगी खता ऐसी फिर, सच क्या है हम समझ गए।
मतलब नहीं अब इस प्यार से, तुमको भी हम समझ गए।।
ना होगी खता ऐसी फिर——————।।
हमको मिलोगे अगर तुम कहीं,मिलायेंगे तुमसे नहीं हम नजर।
खामोश हम निकल जायेंगे, बोलेंगे तुमसे नहीं हम मगर।।
तेरी तरह अब हम सोचते हैं, सच हम भी इतने बदल गए।
ना होगी खता ऐसी फिर ————————–।।
बनाना है अब हमें भी यहाँ, अपना महल अपना मुकाम।
सजाना है अब हमको भी ताज,चमके ताकि हमारा भी नाम।।
क्यों बेवफा तुम हमसे हुए हो, यह राज हम भी समझ अब गए।
ना होगी खता ऐसी फिर——————।।
मरता नहीं कोई किसी के संग,क्यों हम माने सच्ची मोहब्बत।
चाहता है हर कोई जिंदा रहना, चाहता नहीं है कोई मुसीबत।।
प्यारा है हमको भी जीवन हमारा, यह बात हम भी समझ गए।
ना होगी खता ऐसी फिर ————————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)