तू भी धक्के खा, हे मुसाफिर ! ,
गीत... (आ गया जो भी यहाँ )
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
उसके सवालों का जवाब हम क्या देते
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
23/74.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
तुम्हें नहीं पता, तुम कितनों के जान हो…
किसी से बाते करना छोड़ देना यानि की त्याग देना, उसे ब्लॉक कर
जय रावण जी / मुसाफ़िर बैठा
फ़ेहरिस्त रक़ीबों की, लिखे रहते हो हाथों में,
अन्याय के आगे मत झुकना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'