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15 Sep 2024 · 1 min read

” शायद “

” शायद ”
आई जो खुशबू गुलाब की,
कोई मीत मिले निश्छल शायद।
सब्र के पत्ते अति कड़वे,
सब्र का होगा मीठा फल शायद।

2 Likes · 3 Comments · 42 Views
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