समाज और सोच
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/9b87020c24bef78188fac607f2890008_bc8e005f05f814fcd729cd423eb15096_600.jpg)
समाज और सोच,
हमेशा आपको नीचा दिखाएंगे,
लेकिन
मैं वैसा नहीं बोलूंगी जैसा आप चाहते हो,
मैं वो बोलूंगी जैसा मैं चाहती हूं,
अगर मैं आपके ख़िलाफ़ बोला तो,
मैं बदतमीज हूं|
लेकिन एक बात याद रसखना,
जिस दिन हम समाज के खिलाफ बोलने लगे ना,
उस दिन कोई कुछ नहीं बोलेगा,
जैसे महोल में तुम रहते हो,
वैसे हो जाते हो,
गलत,
जैसे तुम बनाना चाहते हो वैसे होते हो,
तो याद रखना समाज की सोच से चलना है,
या खुद के पैरों से,
ये आप ऊपर हैं|
समाज और सोच को,
तुम ही बदल सकते हो|