विवेकवान कैसे बनें। ~ रविकेश झा
नमस्कार दोस्तों आज बात कर रहे हैं विवेक की विवेक क्या है और इसे कैसे अपने जीवन में रूपांतरण करें, क्योंकि हम प्रतिदिन कम कर रहे हैं क्रोध तो आता है हम निर्णय नहीं कर पाते निर्णय करते भी हैं तो क्रोध घृणा से भरे पड़े रहते हैं।इसीलिए हमें विवेकवान होना आवश्यक है।
तो चलिए बात करते हैं विवेक की विवेक क्या है, विवेक एक महत्वपूर्ण गुण है जो हमें सही और गलत के बीच का अंतर समझने में मदद करता है। यह हमें नैतिक और उचित निर्णय लेने में मदद करता है और हमारे जीवन को सार्थक और सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ओशो कहते हैं विवेक एक ऐसी क्षमता है जो हमें अपने जीवन के उद्देश्य को समझने और सही निर्णय लेने में मदद करती है।
विवेक का अर्थ है अपने विचारों, भावनाओं और कार्यों को समझने और मूल्यांकन की क्षमता बढ़ाता है। यह हमें अपने जीवन के उद्देश्य को समझने और सही निर्णय लेने में मदद करता है। अब हम यहां बात कर रहे है जागरूकता की विवेक से हम सही निर्णय ले सकते हैं और जागरूकता से सही और गलत दोनों को जानकर दोनों से ऊपर उठ सकते हैं जो है आत्मा, जिसे न सही में लाभ है न गलत में हानि दोनों में प्रसन्न रहता है वो आत्मिक हो जाता है।
यहां पर समझना होगा जागरूकता और विवेक दोनों अलग अलग तत्व है। विवेक हमें समझने में मदद करता है जो बुद्धि से जुड़ा हुआ है। हमें जानना होगा की हम कैसे और किस तत्व में जी रहे हैं। विवेक के साथ आप अपने विचारों, भावनाओं और कार्य में आत्म-जागरूकता आएगा। सही और गलत के बीच का अंतर समझना जिसे हम नैतिक ज्ञान कह सकते हैं। आप में तर्कशक्ति बढ़ जायेगा निर्णय लेने के लिए तर्क का उपयोग करोगे। अनुभव ही अनुभव होगा, जीवन में आप अनुभव से सीखेंगे।
विवेक में लाभ ही लाभ दिखता है। सही निर्णय लेने में मदद करता है। जीवन के उद्देश्य को समझने में भी मदद करता है।आत्म-विश्वास बढ़ाता है जीवन जीने का कला बतायेगा। संबंधों में सुधार लोगो से ताल मेल बैठता है। जीवन को सार्थक और सफल बनाता है। यदि सफल होना हो तो। क्योंकि ये सब बाहरी कड़ियां हैं आपको ऊपर ही बता चुका हु और पहले भी लिख चुका हूं की जागरूकता से सब सपष्ट हो जाता है, स्थूल शरीर को विवेक चाहिए और सूक्ष्म शरीर को जागरूकता यही चल रहा है अभी जो दोनों को जान लिया वो शांत हो जाता है।
विवेक को विकसित करने के तरीका बता रहा हूं।
आत्म-विचार करें, अपने विचारों और भावनाओं को समझने के लिए समय लें।
अध्यन करें, नैतिक और दर्शनशास्त्रीय ग्रंथो का अध्यन करें। जीवन के अनुभव से सीखने का प्रयास करें। सलाह लें, अनुभवी लोगों से सलाह लें। ध्यान का अभ्यास करें ताकि आप अपने विचारों और भावनाओं को समझ सकें।
विवेक हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसे जानना होगा। विवेक बुद्धि और हृदय का एक हिस्सा है तालमेल है। न अधिक देना न अधिक लेना, ये सब समझदारी विवेक में ही होता है।
विवेक को जानने से पहले स्वयं को जानना होगा उसके बाद दोनों सप्ष्ट हो जाता है, आप भी बेहोश में जी रहे हैं होश आता भी है तो क्षण भर के लिए और हम चूक जाते हैं। हमें जानना होगा तभी हम सार्थक निर्णय लें सकते हैं, निर्णय लेना बेहोशी का पहचान है और सार्थक निर्णय लेना विवेक का पहचान है। इसलिए ध्यान करना चाहिए तभी शरीर मन बुद्धि से ऊपर उठ सकते हैं।
धन्यवाद।🙏🏻❤️
रविकेश झा।