Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jun 2023 · 4 min read

विजयनगरम के महाराजकुमार

विजयनगरम के महाराजकुमार

कर्नल सी. के. नायडू के बाद भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम की कप्तानी विजय आनंद गजपति राजू को सौंपी गई थी । वे टीम इंडिया के एकमात्र ऐसे कप्तान रहे हैं जो कि इंग्लैंड की ओर से भी क्रिकेट खेल चुके थे । उन्हें विजयनगरम के महाराजकुमार या विज़ी के नाम से भी जाना जाता है । वे एक अच्छे क्रिकेटर, क्रिकेट प्रशासक और कुशल राजनीतिज्ञ थे ।
विजयनगरम के महाराजकुमार का जन्म 28 दिसंबर सन् 1905 ई. को ब्रिटिश भारत के प्रिंसली स्टेट, विजयनगर में हुआ जिसे आजकल आंध्र प्रदेश के नाम से जाना जाता है । विज़ी विजयनगरम के शासक पुसापति विजया राम गजपति राजू के द्वितीय सुपुत्र थे । उनकी उपाधि महाराजकुमार (राजकुमार) इसी कारण आती है ।
सन् 1922 ई. में महाराज पुसापति विजया राम गजपति राजू की मृत्यु के बाद राज परिवार की परंपरानुसार विज़ी के बड़े भाई राजा बन गए और विज़ी बनारस (उत्तरप्रदेश) में अपना लंबा-चौड़ा पारिवारिक व्यवसाय संभालने लगे । कालांतर में उन्होंने काशीपुर के जमींदारी एस्टेट के शासक की सबसे बड़ी बेटी से शादी की थी ।
विजयनगरम के महाराजकुमार ने अजमेर में मेयो कॉलेज और इंग्लैंड में हैलेबरी और इंपीरियल सर्विस कॉलेज में पढ़ाई की थी । उन्हें क्रिकेट खेलने का शौक बचपन से ही था, जो किशोरावस्था में पहुँचने तक जूनून की हद तक पहुँच गया था । उन्होंने सन् 1926 ई. में अपनी खुद की एक क्रिकेट टीम का गठन किया और अपने महल परिसर में एक भव्य क्रिकेट के मैदान का निर्माण करवाया । समय के साथ-साथ उनका क्रिकेट के प्रति प्रेम और लगाव बढ़ता ही चला गया । कालांतर में उन्होंने अपनी टीम में भारत और कई अन्य देश के खिलाड़ियों की भर्ती की । जब मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब (एम. सी. सी.) ने सन् 1930-31 ई. में राजनीतिक समस्याओं के कारण भारत का दौरा रद्द कर दिया, तो उन्होंने अपनी खुद की एक टीम का गठन किया और भारत और सीलोन का दौरा किया । विज़ी ने रणजी ट्रॉफी का विचार सिरे से खारिज कर दिया था । उन्होंने अपनी टीम बनाई, जिसमें हर्बर्ट स्कक्लिफ और जैक होब्स ओपनिंग करते थे । कर्नल सी. के. नायडू और एस. मुश्ताक जैसे कुछ और महत्वपूर्ण खिलाड़ी भी उनकी टीम में शामिल थे ।
विजयनगरम के महाराजकुमार बचपन से ही भारत के लिए खेलना चाहते थे, लेकिन बड़े स्तर पर, एक कप्तान के रूप में, न कि एक सामान्य खिलाड़ी के रूप में । सन् 1932 ई. में इंग्लैंड दौरे के लिए उन्हें टीम का उप कप्तान बनाया गया था, लेकिन उन्होंने स्वास्थ्यगत कारणों का हवाला देकर उस दौरे पर जाने से ही इंकार कर दिया था । इसके बाद कई सालों तक उन्होंने टेनिस बैडमिन्टन जैसे अन्य अनेक खेलों में अपनी किस्मत आजमाई और अंततः सन् 1936 ई. में इंग्लैंड के अगले दौरे पर वे भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के कप्तान चुन लिए गए । उनकी कप्तानी में खेले गए तीन मैचों में भारत को दो मैचों में हार मिली जबकि एक मैच अनिर्णीत ही समाप्त हुआ था ।
आंकड़ों के मुताबिक विजयनगरम के महाराजकुमार ने किसी भी तरह से क्रिकेट में एक अच्छे खिलाड़ी के रूप में खुद को साबित नहीं कर सके थे । अंतररष्ट्रीय मैचों में उन्होंने कुल 3 टेस्ट मैचों में 8.22 की औसत से मात्र 33 रन बनाए थे, जिसमें उनका उच्चतम स्कोर नाबाद 19 रन का था । उन्होंने प्रथम श्रेणी के कुल 47 मैचों में 18.60 की सामान्य औसत से मात्र 1228 रन ही बनाए थे, जिसमें उनका उच्चतम स्कोर नाबाद 77 रनों का था । प्रथम श्रेणी के क्रिकेट मैचों में उन्होंने कुल 5 अर्धशतक लगाए । वे दाएँ हाथ से बल्लेबाजी करते थे । अन्तराष्ट्रीय क्रिकेट मैचों में उन्होंने कभी भी गेंदबाजी नहीं की, जबकि प्रथम श्रेणी के मैचों में उन्होंने 34.75 की सामान्य औसत से कुल 4 विकेट हासिल की थी । उन्होंने अपना पहला टेस्ट क्रिकेट मैच इंग्लैंड के विरुद्ध 27 जून सन् 1936 ई. को और अंतिम टेस्ट मैच इंग्लैंड के ही विरुद्ध 18 अगस्त सन् 1936 ई. को खेला था ।
ब्रिटिश सम्राट किंग एडवर्ड VIII द्वारा विजयनगरम के महाराजकुमार को ‘नाइटहुड’ की उपाधि दी गई थी । वे एकमात्र ऐसे क्रिकेटर थे, जिन्हें एक सक्रिय टेस्ट क्रिकेटर के रूप में नाइटहुड से सम्मानित किया गया था । कालांतर में विज़ी ने लॉर्ड माउंटबेटन को लिखे अपने एक पत्र में अपनी ‘नाइटहुड’ की उपाधि का त्याग करते हुए लिखा था कि यह भारत गणराज्य के आदर्शों के अनुरूप नहीं होगा । इसलिए इसे लौटा रहा हूँ ।
वेस्टइंडीज के खिलाफ सन् 1948-49 ई. की श्रृंखला से विज़ी एक रेडियो कमेंटेटर बन गए और सन् 1959 ई. में इंग्लैंड के भारतीय दौरे के दौरान भी वे बी. बी. सी. के अतिथि कमेंटेटर थे । हालांकि उनकी क्रिकेट कमेंटरी भी बहुत अच्छी नहीं रही । इसके अलावा ऐसा भी कहा जाता है कि उनका जीवन क्रिकेट के मैदान ही नहीं, बाहर भी अनेक प्रकार के विवादों से घिरा रहा ।
विजयनगरम के महाराजकुमार उर्फ़ विज़ी ने एक क्रिकेट प्रशासक के रूप में लम्बे समय तक कार्य किया । वे सन् 1954 ई. से 1957 ई. तक बी. सी. सी. आई. के अध्यक्ष रहे । इससे पहले वे सन् 1952 ई. में बी. सी. सी. आई. के उपाध्यक्ष भी रहे । उन्होंने क्रिकेट के मैदान से बाहर कई अच्छा काम किए, जिस कारण उनको बहुत प्रसिद्धि मिली । उनके प्रयासों से ही कानपुर (उत्तरप्रदेश) का ग्रीन पार्क स्टेडियम भारत का अन्तराष्ट्रीय टेस्ट मैचों के लिए एक अधिकृत मैदान बना ।
विजयनगरम के महाराजकुमार सन् 1960 और 1962 ई. में आंध्रप्रदेश के विशाखापत्तनम क्षेत्र से लोकसभा के सदस्य चुने गए थे । बनारस विश्वविद्यालय ने उन्हें सन् 1944 ई. में ‘डॉक्टर ऑफ लॉ’ की मानद उपाधि से सम्मानित किया था । सन् 1958 ई. में उन्हें भारत सरकार द्वारा प्रतिष्ठित ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित किया गया था । ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित होने वाले वे हमारे देश दूसरे क्रिकेटर थे ।
2 दिसंबर सन् 1965 ई. में मात्र आयु 59 वर्ष की अल्प आयु में ही वाराणसी, उत्तरप्रदेश में उनका देहांत हो गया ।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
पं. डी.डी.यू., नगर, रायपुर (छ.ग.)

Language: Hindi
353 Views

You may also like these posts

4628.*पूर्णिका*
4628.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रिश्तों की कद्र
रिश्तों की कद्र
Sudhir srivastava
समर्पण
समर्पण
ललकार भारद्वाज
चलो माना तुम्हें कष्ट है, वो मस्त है ।
चलो माना तुम्हें कष्ट है, वो मस्त है ।
Dr. Man Mohan Krishna
गांव सदाबहार
गांव सदाबहार
C S Santoshi
एक रचयिता  सृष्टि का , इक ही सिरजनहार
एक रचयिता सृष्टि का , इक ही सिरजनहार
Dr.Pratibha Prakash
जीवन को पैगाम समझना पड़ता है
जीवन को पैगाम समझना पड़ता है
डॉ. दीपक बवेजा
"इंसानियत की सनद"
Dr. Kishan tandon kranti
शिव स्तुति महत्व
शिव स्तुति महत्व
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
I Fall In Love
I Fall In Love
Vedha Singh
डिफाल्टर
डिफाल्टर
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
उपकार माईया का
उपकार माईया का
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Udaan Fellow Initiative for employment of rural women - Synergy Sansthan, Udaanfellowship Harda
Udaan Fellow Initiative for employment of rural women - Synergy Sansthan, Udaanfellowship Harda
Desert fellow Rakesh
आज कल के लोग बड़े निराले हैं,
आज कल के लोग बड़े निराले हैं,
Nitesh Shah
जब तू मिलती है
जब तू मिलती है
gurudeenverma198
कविता बिन जीवन सूना
कविता बिन जीवन सूना
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
” आलोचनाओं से बचने का मंत्र “
” आलोचनाओं से बचने का मंत्र “
DrLakshman Jha Parimal
जिंदगी की जंग
जिंदगी की जंग
Seema gupta,Alwar
गिरगिट
गिरगिट
Shutisha Rajput
సంస్థ అంటే సేవ
సంస్థ అంటే సేవ
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
हार से भी जीत जाना सीख ले।
हार से भी जीत जाना सीख ले।
सत्य कुमार प्रेमी
नारी शक्ति का स्वयं करो सृजन
नारी शक्ति का स्वयं करो सृजन
उमा झा
उदास राहें
उदास राहें
शशि कांत श्रीवास्तव
रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
-वतन के वास्ते जीओ वतन के वास्ते मर जाओ -
-वतन के वास्ते जीओ वतन के वास्ते मर जाओ -
bharat gehlot
मंजिल-ए-मोहब्बत
मंजिल-ए-मोहब्बत
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
मुक्तक काव्य
मुक्तक काव्य
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
तपती दुपहरी
तपती दुपहरी
Akash RC Sharma
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
रख लेना तुम सम्भाल कर
रख लेना तुम सम्भाल कर
Pramila sultan
Loading...