वाह सीनियर लोग (गीतिका)
वाह सीनियर लोग (गीतिका)
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हँसते गाते मौज मनाते, वाह सीनियर लोग
मस्ती में देखो इठलाते , वाह सीनियर लोग
नौजवान भी इनके आगे पानी ही भरते हैं
अगर डाँस करने पर आते,वाह सीनियर
लोग
बूढ़ेपन की परिभाषा का होता मन से रिश्ता
मन से नौजवान कहलाते, वाह सीनियर लोग
सुबह सवेरे उठकर कसरत, लिखना- पढ़ना जारी
फिर समाज कार्यों में जाते ,वाह सीनियर लोग
साठ साल के यह कब बूढ़े, सौ तक इनमें यौवन
लगता जैसे उम्र घटाते ,वाह सीनियर लोग
कहलाते अवकाशप्राप्त हैं ,पर अवकाश कहाँँ है
सूरज अब भी रोज उगाते ,वाह सीनियर लोग
खटिया पर कब पड़े- पड़े इनको अच्छा लगता है
जब देखो तब दौड़ लगाते, वाह सीनियर लोग
हुए रिटायर फिर भी अपनी पेंशन के रुपयों से
पूरे घर का खर्च चलाते , वाह सीनियर लोग
बच्चों के कब मोहताज हैं ,बच्चे इनका खाते
इसीलिए तो हुक्म चलाते, वाह सीनियर लोग
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तरप्रदेश )
मोबाइल 99976 15451