Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jul 2024 · 3 min read

वर्तमान समय में महिलाओं के पुरुष प्रधान जगत में सामाजिक अधिकार एवं अस्मिता हेतु संघर्ष एक विस्तृत विवेचना

महिलाओं के सामाजिक अधिकार और अस्मिता हेतु संघर्ष एक जटिल और विविध विषय है,
जिसमें ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और कानूनी पहलू शामिल हैं।
वर्तमान समय में, महिलाएं पुरुष प्रधान समाज में अपनी जगह बनाने और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए कई मोर्चों पर संघर्ष कर रहीं हैं।
इस संघर्ष की व्यापक विवेचना कुछ मुख्य बिंदुओं पर की जा सकती है:

1. ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

प्राचीन समय:
भारत के प्राचीन समय में महिलाओं को सम्मानित स्थान दिया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे समाज में पुरुष प्रधानता बढ़ने लगी और महिलाओं की स्थिति कमजोर हो गई।

मध्यकाल:
इस अवधि में महिलाओं की स्थिति और भी बदतर हो गई, खासकर आततायी मुस्लिम शासकों के आक्रमणों और सामाजिक-धार्मिक कुरीतियों के कारण।

आधुनिक युग:
ब्रिटिश शासन के दौरान कुछ सुधार हुए, लेकिन स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महिलाओं की भूमिका और बढ़ी।

2. कानूनी अधिकार

संविधान और कानून :
भारतीय संविधान में महिलाओं को समानता, स्वतंत्रता और गरिमा के अधिकार दिए गए हैं। विभिन्न कानून जैसे कि दहेज निषेध अधिनियम, घरेलू हिंसा अधिनियम, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से संरक्षण अधिनियम आदि महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाए गए हैं।

कानूनी सुधार:
हाल के वर्षों में बलात्कार, यौन उत्पीड़न, और अन्य अपराधों के खिलाफ कानूनों को और कठोर किया
गया है।

3. शिक्षा और रोजगार

शिक्षा का महत्व:
शिक्षा महिलाओं के सशक्तिकरण का सबसे महत्वपूर्ण साधन है। सरकार और गैर-सरकारी संगठनों ने लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं।

रोजगार में समानता:
महिलाओं को रोजगार के क्षेत्र में भी संघर्ष करना पड़ता है। हालांकि, धीरे-धीरे विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है, लेकिन समान वेतन और अवसरों के मामले में अभी भी कई चुनौतियाँ हैं।

4. सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाएँ

पारंपरिक मान्यताएँ:
कई समाजों में अभी भी पारंपरिक मान्यताएँ और रूढ़ियाँ महिलाओं के विकास में बाधक हैं।

परिवार और समुदाय:
परिवार और समुदाय की सोच और व्यवहार में बदलाव लाने की जरूरत है ताकि महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जा सके और उन्हें समर्थन मिल सके।

5. राजनीतिक भागीदारी

राजनीतिक प्रतिनिधित्व:
महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
पंचायतों में आरक्षण के माध्यम से कुछ सुधार हुए हैं, लेकिन उच्च स्तर पर अभी भी महिलाओं की भागीदारी कम है।

नेतृत्व की भूमिका:
महिलाओं को नेतृत्व की भूमिकाओं में प्रोत्साहित करना और उनकी क्षमता का विकास करना जरूरी है।

6. आधुनिक चुनौतियाँ और आंदोलन

MeToo आंदोलन:
हाल के वर्षों में MeToo आंदोलन ने यौन उत्पीड़न और शोषण के खिलाफ महिलाओं की आवाज को बुलंद किया है।

महिला संगठन:
विभिन्न महिला संगठनों और आंदोलनों ने महिलाओं के अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

7. वैश्विक संदर्भ

अन्तर्राष्ट्रीय संगठन:
संयुक्त राष्ट्र और अन्य अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों ने महिलाओं के अधिकारों के लिए कई समझौते और पहल की हैं।

वैश्विक संघर्ष:
विश्वभर में महिलाएं समान अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहीं हैं और सफलता की ओर बढ़ रहीं हैं।

इन सभी पहलुओं पर विचार करते हुए, यह स्पष्ट है कि महिलाओं की सामाजिक अधिकार और अस्मिता हेतु संघर्ष एक निरंतर और व्यापक प्रक्रिया है।
इसमें समाज के सभी वर्गों की भागीदारी और सहयोग की आवश्यकता है ताकि महिलाएं अपने अधिकारों को प्राप्त कर सकें और एक समान और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण हो सके।

Language: Hindi
Tag: लेख
204 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all

You may also like these posts

कहां जायेंगे वे लोग
कहां जायेंगे वे लोग
Abhishek Rajhans
3923.💐 *पूर्णिका* 💐
3923.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
sp16/17 कविता
sp16/17 कविता
Manoj Shrivastava
The Natural Thoughts
The Natural Thoughts
Buddha Prakash
माँ और बेटी – अनमोल रिश्ता
माँ और बेटी – अनमोल रिश्ता
AVINASH (Avi...) MEHRA
आनर किलिंग
आनर किलिंग
Shekhar Chandra Mitra
- प्रतिक्षा
- प्रतिक्षा
bharat gehlot
अमृत नागर
अमृत नागर
Rambali Mishra
#मूल_दोहा-
#मूल_दोहा-
*प्रणय प्रभात*
जीवन में ऐश्वर्य के,
जीवन में ऐश्वर्य के,
sushil sarna
नाथ मुझे अपनाइए,तुम ही प्राण आधार
नाथ मुझे अपनाइए,तुम ही प्राण आधार
कृष्णकांत गुर्जर
ससुराल से जब बेटी हंसते हुए अपने घर आती है,
ससुराल से जब बेटी हंसते हुए अपने घर आती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
षड्यंत्रों की कमी नहीं है
षड्यंत्रों की कमी नहीं है
Suryakant Dwivedi
!! व्यक्तित्व !!
!! व्यक्तित्व !!
जय लगन कुमार हैप्पी
वक्त की चोट
वक्त की चोट
Surinder blackpen
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
समय बदल रहा है..
समय बदल रहा है..
ओनिका सेतिया 'अनु '
The Enemies
The Enemies
Otteri Selvakumar
https://j88tut.com
https://j88tut.com
j88tut
एक तरफा
एक तरफा
PRATIK JANGID
कितना खाली खालीपन है
कितना खाली खालीपन है
Saraswati Bajpai
गम तो सबकी जिन्दगी में है,
गम तो सबकी जिन्दगी में है,
Dr .Shweta sood 'Madhu'
अरे ! मुझसे मत पूछ
अरे ! मुझसे मत पूछ
VINOD CHAUHAN
उज्जैयिनी
उज्जैयिनी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जो करोगे गलत काम तो सिर्फ नर्क के द्वार मिलेंगे।
जो करोगे गलत काम तो सिर्फ नर्क के द्वार मिलेंगे।
Madhu Gupta "अपराजिता"
साध्य पथ
साध्य पथ
Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan"
काश ! लोग यह समझ पाते कि रिश्ते मनःस्थिति के ख्याल रखने हेतु
काश ! लोग यह समझ पाते कि रिश्ते मनःस्थिति के ख्याल रखने हेतु
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
प्रकृति के प्रहरी
प्रकृति के प्रहरी
Anop Bhambu
पैसा
पैसा
Mansi Kadam
आज के समय में शादियों की बदलती स्थिति पर चिंता व्यक्त की है।
आज के समय में शादियों की बदलती स्थिति पर चिंता व्यक्त की है।
पूर्वार्थ
Loading...