“मुकाम”
“मुकाम”
जब-जब नजर डालता हूँ
तो पाता हूँ
कइयों साथी रह गए पीछे
कुछ हो गए आगे,
कोई शोहरत के लिए जिए
तो कोई
दौलत के पीछे भागे।
“मुकाम”
जब-जब नजर डालता हूँ
तो पाता हूँ
कइयों साथी रह गए पीछे
कुछ हो गए आगे,
कोई शोहरत के लिए जिए
तो कोई
दौलत के पीछे भागे।