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22 Jan 2024 · 1 min read

हे राम हृदय में आ जाओ

हे राम तुम्हारा निर्वासन तो
मात्र तुम्हारे भवन से था,
किन्तु तुम्हारी जग माया में
क्यों तुम नजर नहीं आते?
क्यों छलते रहते तुम सबको
यहाँ नहीं तुम, वहां नही
नजर नहीं आते हो जबकि
निश्चल व अविराम हो।
माना हम सब भूले तुमको
पर तुम कैसे भूल गए ?
हम अज्ञानी मुँह मोड़े थे
तुम भी क्यों मुँह मोड़ गए ?
जीवन का उपहार दिया जो
हम आदर उसे नहीं दे पाए
इसीलिए नाराज हो शायद
व्यर्थ की कार गुजारी से ।
पर अब जो तुम स्व भवन मे आए
इस हृदय भवन में भी आओ ।
कण-कण में अब प्रतिभाषित हो
राम-राज्य फिर से लाओ।
🙏

Language: Hindi
108 Views
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