Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jun 2024 · 1 min read

“मीलों चलकर”

“मीलों चलकर”
जज्बो – जुनून गजब के लगते,
मीलों चलकर पाँव छिला नहीं है।
चहुँओर फैला अन्धेरा ही अन्धेरा,
अब तलक चाँद निकला नहीं है।

2 Likes · 2 Comments · 88 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
You may also like:
सिर्फ इंसान होना ही काफी नहीं है
सिर्फ इंसान होना ही काफी नहीं है
Ranjeet kumar patre
संस्मरण
संस्मरण
Ravi Prakash
कितना अच्छा था बचपन
कितना अच्छा था बचपन
shabina. Naaz
*जाने कब अब उन से  कुर्बत होगी*
*जाने कब अब उन से कुर्बत होगी*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मां के किसी कोने में आज भी बचपन खेलता हैयाद आती है गुल्ली डं
मां के किसी कोने में आज भी बचपन खेलता हैयाद आती है गुल्ली डं
Ashwini sharma
पहले जब तु पास् होती थी , तब दिल तुझे खोने से रोता था।
पहले जब तु पास् होती थी , तब दिल तुझे खोने से रोता था।
Nitesh Chauhan
नियम पुराना
नियम पुराना
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
मउगी चला देले कुछउ उठा के
मउगी चला देले कुछउ उठा के
आकाश महेशपुरी
घाव करे गंभीर
घाव करे गंभीर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
4329.*पूर्णिका*
4329.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"मुश्किलों का आदी हो गया हूँ ll
पूर्वार्थ
"हार्दिक स्वागत"
Dr. Kishan tandon kranti
पल भर तमाशों के बीच ज़िंदगी गुजर रही है,
पल भर तमाशों के बीच ज़िंदगी गुजर रही है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
रोम रोम है पुलकित मन
रोम रोम है पुलकित मन
sudhir kumar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
रातों की तन्हाई में
रातों की तन्हाई में
इशरत हिदायत ख़ान
"बेल की महिमा"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
#लघुकथा / #बेरहमी
#लघुकथा / #बेरहमी
*प्रणय*
हिंदी भाषा में प्यार है
हिंदी भाषा में प्यार है
Sonam Puneet Dubey
चक्षु सजल दृगंब से अंतः स्थल के घाव से
चक्षु सजल दृगंब से अंतः स्थल के घाव से
Er.Navaneet R Shandily
आइना देखा तो खुद चकरा गए।
आइना देखा तो खुद चकरा गए।
सत्य कुमार प्रेमी
आइए मोड़ें समय की धार को
आइए मोड़ें समय की धार को
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
संसार एवं संस्कृति
संसार एवं संस्कृति
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
गर्मी और नानी का घर
गर्मी और नानी का घर
अमित
सूर्योदय
सूर्योदय
Madhu Shah
बीजारोपण
बीजारोपण
आर एस आघात
लक्ष्य
लक्ष्य
Suraj Mehra
हम भी अपनी नज़र में
हम भी अपनी नज़र में
Dr fauzia Naseem shad
मुझे उस पार उतर जाने की जल्दी ही कुछ ऐसी थी
मुझे उस पार उतर जाने की जल्दी ही कुछ ऐसी थी
शेखर सिंह
कविता
कविता
Rambali Mishra
Loading...