“मीलों चलकर”
“मीलों चलकर”
जज्बो – जुनून गजब के लगते,
मीलों चलकर पाँव छिला नहीं है।
चहुँओर फैला अन्धेरा ही अन्धेरा,
अब तलक चाँद निकला नहीं है।
“मीलों चलकर”
जज्बो – जुनून गजब के लगते,
मीलों चलकर पाँव छिला नहीं है।
चहुँओर फैला अन्धेरा ही अन्धेरा,
अब तलक चाँद निकला नहीं है।