भारतवर्ष स्वराष्ट्र पूर्ण भूमंडल का उजियारा है
भारत पर स्वराष्ट्र पूर्ण भूमंडल का उजियारा है
विश्वबंधु-दीपक बन जलने वाला सुंदर -प्यारा है
लक्ष्मीबाई की कृपाण ने देख फिरंगी को मारा
मंगल पांडे,भगत सिंह औ राजगुरू ले ललकारा
तात्याटोपे, खुदीराम के खूँ का मिला सहारा है
भारतवर्ष स्वराष्ट्र पूर्ण भूमंडल का उजियारा है
वीर चंद्रशेखर की गर्जन, हिला रही शासन- डेरा
मोड सके ना मेरी बाहों को बैरी है जो मेरा
देश हेतु अर्पित कर निज तन सबका बना दुलारा है
भारतवर्ष स्वराष्ट्र पूर्ण भूमंडल का उजियारा है
हृदय हमारा भाव है लेकिन, दिव्य सजगता मेरा धन
मातृधरणि पर सदा निछावर किया युवाओं ने निज तन
दिव्य प्रेम की मूरत हम, पर यम भी हम से हारा है
भारतवर्ष स्वराष्ट्र पूर्ण भूमंडल का उजियारा है
ऋषि-मुनि मेरे दिव्य प्रेम के वृहत् रुप को जान गए
मोह त्यागकर जागा अर्जुन, सजग ज्ञान पहचान गए
गीता रुपी ज्ञान सुधा दे ,कृष्ण आँख का तारा है
भारतवर्ष स्वराष्ट्र पूर्ण भूमंडल का उजियारा है
विश्वबंधु-दीपक बन जलने बाला सुंदर-प्यारा है
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✓ २०१३ में जे एम डी पब्लिकेशन नई दिल्ली से प्रकाशित मेरी कृति “जागा हिंदुस्तान चाहिए” काब्य संग्रह का गीत।
✓उक्त रचना को साहित्यपीडिया पब्लिसिंग से प्रकाशित मेरी उक्त कृति “जागा हिंदुस्तान चाहिए” काव्य संग्रह के द्वितीय संस्करण के अनुसार परिष्कृत किया गया है।
✓”जागा हिंदुस्तान चाहिए” काव्य संग्रह का द्वितीय संस्करण New cover and new ISBN के साथ साहित्यपीडिया पब्लिसिंग, नोएडा, भारतवर्ष से प्रकाशित है एवं अमेजोन और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।
पं बृजेश कुमार नायक