SP31 रचनाओं में मेरी
sp31 रचनाओं में मेरी
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रचनाओं से मेरी झलकता स्वाभिमान है
जिन्दा हूं मैं अभी तलक बाकी उड़ान है
जब तक ये सफर चलना होगी नहीं थकन
बदले हुए हालातों के बदले निशान हैं
साहित्य के व्यापार में होती हैं कोशिशें
देखो तो खुल गई हैं सभी की दुकान हैं
पेटीएम गूगल कीजिए कुछ डालिए तभी
हम छाप पायेंगे बड़े कवि हैं महान है
लिख दें या कुछ बोल दे ये हक हमारा है
हमको विरासत में मिला भारत महान है
हम कुछ करें या ना करें आरक्षण चाहिए
अपनी बिरादरी को सदा देते ज्ञान हैं
है जब तलक कानून ये हम सब पढ़े हुए
पिंजरे में सलामत तभी तोते में जान है
हम तो भटक गए थे पता पूछ लिया था
बिल्कुल पता नहीं था तुम्हारा मकान है
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
यह भी गायब वह भी गायब