Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 May 2024 · 2 min read

प्रकृति से हमें जो भी मिला है हमनें पूजा है

प्रकृति से हमें जो भी मिला है
हमने उसकी पूजा की है
कण कण में भगवान को ढूंढा है
हर कण को हमने पूजा है

तिनके तिनके पत्तों से लेकर
धरती और गगन को पूजा है
पंचतत्वों को भी पूजा है
सूर्य और चन्द्रमा को पूजा है

जो भी मिला है हमें
उन सब को हमनें पूजा है
इंसान हो या जानवर हों
सबमें हमनें भगवान को खोजा है

स्त्री मिली पुरूष को तो
पुरुषों ने देवी माना और पूजा है
स्त्री को पुरुष मिला तो स्त्रियों ने
पुरूषों को देवता समझ कर पूजा है

बच्चों में हमनें भगवान को देखा है
गुरुओं को हमनें भगवान समझा है
त्याग तपस्या और समर्पण को हमनें जिया है
प्रकृति की महिमा को सबने जाना है और सबने पूजा है

आडंबर और पाखंड ने हमें कमज़ोर किया है
फिर हमें जमकर लूटा है, आतंकित किया है
अंधविश्वास और अज्ञान ने हमारे मस्तिष्क पर
प्रहार किया है धर्म कर्म को भी अस्वीकार किया है

सत्य को जाना था जबतक
हुआ नहीं था अनर्थ तबतक
अधर्म और असत्य का जब जब साथ दिया है
पतन को स्वयं ही निमंत्रण दिया है

संस्कृतियों की मिलावट से ही
विनाश हुआ है संस्कारों का
पतन हुआ है सभ्य सुसंस्कृत सभ्यता का
अखंड भारत भी खण्डित हुआ है टुकड़ों में बटा है

पाश्चात्य शिक्षा और संस्कृति ने भी हमें ठगा है
जमकर प्रहार किया है, विचार अभिव्यक्ति को
आडंबर और पाखंड को हथियार बना कर
संस्कारों को अस्वीकार किया है

पाश्चत्य संस्कृतियों का खुला प्रचार किया है
वेदों की भाषा, पुराणों की वाणी को नकारा है
ऋषियों की संगत को सरेआम ठुकरा दिया है
सभ्य संस्कृति का विसंगतियों से हास हुआ है

क्या आज़ भी अंधविश्वास नहीं है
क्या आज़ भी पाखंड नहीं है
सीधा सरल था जीवन जहां
आज़ वहां मौत सामने खड़ी है

लौट चलो अब सतयुग में
जीवन पावन था जहां
प्रकृति और रिश्तों को पूजा जाता था वहां
गर्व और स्वाभीमान था जहां, नर नारी दोनों का सम्मान था जहां

प्रकृति की गोद में चलो, प्रकृति की पूजा करो
वृक्षारोपण करो, प्रकृति का विनाश करना बंद करो
आनें वाली पीढ़ियों पर उपकार करते चलो
जीवन में सदाचार भरो और सत्य को स्वीकार करो

– सोनम पुनीत दुबे

3 Likes · 146 Views
Books from Sonam Puneet Dubey
View all

You may also like these posts

यकीन
यकीन
Ruchika Rai
फिर सिमट कर बैठ गया हूं अपने में,
फिर सिमट कर बैठ गया हूं अपने में,
Smriti Singh
4167.💐 *पूर्णिका* 💐
4167.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
"सब्र"
Dr. Kishan tandon kranti
यूं उन लोगों ने न जाने क्या क्या कहानी बनाई,
यूं उन लोगों ने न जाने क्या क्या कहानी बनाई,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सरस रंग
सरस रंग
Punam Pande
शहर में मजदूर तबका केवल भाड़ा और पेट भरने भर का ही पैसा कमा
शहर में मजदूर तबका केवल भाड़ा और पेट भरने भर का ही पैसा कमा
Rj Anand Prajapati
श्री राम का जीवन– गीत
श्री राम का जीवन– गीत
Abhishek Soni
तुम तो हो जाते हो नाराज
तुम तो हो जाते हो नाराज
gurudeenverma198
खुलेआम मोहब्बत को जताया नहीं करते।
खुलेआम मोहब्बत को जताया नहीं करते।
Phool gufran
* मायने हैं *
* मायने हैं *
surenderpal vaidya
अंतिम
अंतिम
सिद्धार्थ गोरखपुरी
हवाओ में कौन है जिसने इश्क का इतर घोल दिया है।
हवाओ में कौन है जिसने इश्क का इतर घोल दिया है।
Rj Anand Prajapati
कतरनों सा बिखरा हुआ, तन यहां
कतरनों सा बिखरा हुआ, तन यहां
Pramila sultan
"गरीबी मिटती कब है, अलग हो जाने से"
राकेश चौरसिया
सब्र का बांँध यदि टूट गया
सब्र का बांँध यदि टूट गया
Buddha Prakash
निःशब्दिता की नदी
निःशब्दिता की नदी
Manisha Manjari
अधूरा इश्क़
अधूरा इश्क़
Dipak Kumar "Girja"
“You are likely to fall when you stop paddling your bicycle.
“You are likely to fall when you stop paddling your bicycle.
पूर्वार्थ
ज़िन्दगी जीने की जद्दोजहद में
ज़िन्दगी जीने की जद्दोजहद में
लक्ष्मी सिंह
-जीना यूं
-जीना यूं
Seema gupta,Alwar
हमेशा के लिए कुछ भी नहीं है
हमेशा के लिए कुछ भी नहीं है
Adha Deshwal
🙅आज का मसला🙅
🙅आज का मसला🙅
*प्रणय*
एक स्त्री चाहे वह किसी की सास हो सहेली हो जेठानी हो देवरानी
एक स्त्री चाहे वह किसी की सास हो सहेली हो जेठानी हो देवरानी
Pankaj Kushwaha
DEEP MEANINGFUL
DEEP MEANINGFUL
Ritesh Deo
कर्तव्य और अधिकार
कर्तव्य और अधिकार
Sudhir srivastava
अनंत शून्य
अनंत शून्य
Shekhar Deshmukh
माँ - सम्पूर्ण संसार
माँ - सम्पूर्ण संसार
Savitri Dhayal
*सेब (बाल कविता)*
*सेब (बाल कविता)*
Ravi Prakash
प्रेम की ज्योत
प्रेम की ज्योत
Mamta Rani
Loading...