Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Nov 2023 · 1 min read

“बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ”

“बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ”
————————–
गर्भ में बेटी को मार गिराए
वो माँ-बाप नहीं हैवान हैं।
जो बेटी को पढ़ने ना दिया
वो सौ फ़ीसदी शैतान हैं।।

10 Likes · 7 Comments · 221 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
You may also like:
प्रभु श्री राम
प्रभु श्री राम
Mamta Singh Devaa
मेरे दिल मे रहा जुबान पर आया नहीं....,
मेरे दिल मे रहा जुबान पर आया नहीं....,
कवि दीपक बवेजा
'पिता'
'पिता'
पंकज कुमार कर्ण
मुद्दतों बाद फिर खुद से हुई है, मोहब्बत मुझे।
मुद्दतों बाद फिर खुद से हुई है, मोहब्बत मुझे।
Manisha Manjari
2597.पूर्णिका
2597.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
#मायका #
#मायका #
rubichetanshukla 781
हक़ीक़त ये अपनी जगह है
हक़ीक़त ये अपनी जगह है
Dr fauzia Naseem shad
दिल पे पत्थर ना रखो
दिल पे पत्थर ना रखो
shabina. Naaz
मूकनायक
मूकनायक
मनोज कर्ण
हिंदीग़ज़ल में होता है ऐसा ! +रमेशराज
हिंदीग़ज़ल में होता है ऐसा ! +रमेशराज
कवि रमेशराज
💐प्रेम कौतुक-546💐
💐प्रेम कौतुक-546💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
पिला रही हो दूध क्यों,
पिला रही हो दूध क्यों,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
साधु की दो बातें
साधु की दो बातें
Dr. Pradeep Kumar Sharma
प्यार और मोहब्बत नहीं, इश्क है तुमसे
प्यार और मोहब्बत नहीं, इश्क है तुमसे
पूर्वार्थ
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
"जीत सको तो"
Dr. Kishan tandon kranti
बुंदेली लघुकथा - कछु तुम समजे, कछु हम
बुंदेली लघुकथा - कछु तुम समजे, कछु हम
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
रंगों में भी
रंगों में भी
हिमांशु Kulshrestha
देश भक्ति का ढोंग
देश भक्ति का ढोंग
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
-- नफरत है तो है --
-- नफरत है तो है --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
धनमद
धनमद
Sanjay ' शून्य'
यह आज है वह कल था
यह आज है वह कल था
gurudeenverma198
सारी फिज़ाएं छुप सी गई हैं
सारी फिज़ाएं छुप सी गई हैं
VINOD CHAUHAN
■आज पता चला■
■आज पता चला■
*Author प्रणय प्रभात*
कोई किसी के लिए जरुरी नहीं होता मुर्शद ,
कोई किसी के लिए जरुरी नहीं होता मुर्शद ,
शेखर सिंह
বড় অদ্ভুত এই শহরের ভীর,
বড় অদ্ভুত এই শহরের ভীর,
Sakhawat Jisan
खाने में हल्की रही, मधुर मूँग की दाल(कुंडलिया)
खाने में हल्की रही, मधुर मूँग की दाल(कुंडलिया)
Ravi Prakash
बड्ड यत्न सँ हम
बड्ड यत्न सँ हम
DrLakshman Jha Parimal
काशी
काशी
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
जी करता है , बाबा बन जाऊं - व्यंग्य
जी करता है , बाबा बन जाऊं - व्यंग्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...