बुर्जुर्ग सुरक्षित कैसे हों।
बुर्जुर्ग हमारे प्रेरणा श्रोत हैं। वे हर समाज में पूज्यनीय है । बुजुर्गों का सम्मान में जाति, धर्म, समुदाय आदि कुछ भी रुकावट नहीं डालता है। इसलिए हमारा दायित्व बनता है कि बुर्जुगों को स्वस्थ और सुरक्षित कैसे रखा जाए इस पर विचार-विमर्श करें, वे सुखी और खुशहाल जीवन कैसे बिताएँ, इसपर चर्चा करें।
तो चलिए शुरू आगे बढ़ाते हैं चर्चा को।
बुजुर्गों के बारे में किसी ने बहुत सुन्दर कहा है-
“यूं तो घर के किसी कोने में चुपचाप रहते हैं
लेकिन उनके जाने से रौनक चली जाती है |
बुजुर्ग होते हैं तो छाया रहती है
उनके जाने से जैसे छत चली जाती है |”
इसलिए आज के परिवेश में बुजुर्गों की सुरक्षा सारी दुनिया में एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। इस पर विचार करना और इसे गंभीरता से समझना हम सभी के लिये बहुत जरूरी है| वास्तविकता भी यही है कि बुजुर्गों का सम्मान समाज की सभ्यता का प्रतिबिम्ब है और उनकी समस्यायों को नजर अंदाज करना हमारी भविष्य की पीढी के प्रति एक प्रकार का अन्याय | इसे नकारा नहीं जा सकता है कि बुजुर्गों की देखभाल केवल एक कर्तव्य नहीं, बल्कि आनेवाली पीढ़ियों के लिए सीख भी है|” सच में हम जो एक पीढी से सीखते हैं वहीं अगली पीढी के साथ करते भी हैं|
बुजुर्ग सुरक्षित कैसे रहें, उनके सामने कौन-कौन सी समस्यायें हैं,समाज में बुजुर्गों की स्थिति वर्त्तमान में क्या है, उन्हें कौन-कौन सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और इन सब समस्याओं का समाधान क्या हो सकता है ? आज हम इन्हीं सब बातों का जबाब ढूंढने की कोशिश करेंगे।
तो आईये, हम सब मिलकर इस विषय पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
बुजुर्ग हर समाज में होते हैं और इस अवस्था में उनके सामने बहुत तरह की समस्याएं खड़ी हो जाती है| साथ ही साथ उनकी मौजूदगी परिवार और समाज के लिए बहुत फायदेमंद भी है| अत: उनकी अहमियत को सभी लोगों को समझना चाहिए क्योंकि बुजुर्ग परिवार की बुनियाद होते हैं, जो अपने अनुभव, ज्ञान और परंपराओं के साथ परिवार को मजबूत बनाने में सहायक होते हैं । उनके पास जीवन के विभिन्न क्षेत्रों का व्यापक अनुभव होता है| ऐसे बुजुर्ग परिवार के अन्य सदस्यों के लिए एक अच्छे मार्गदर्शक और सलाहकार बन सकते हैं| इसके अतिरिक्त वे अपने अनुभव और ज्ञान के माध्यम से नई पीढ़ी के सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों से परिचित कराते हैं, हमें बताते हैं । साथ ही साथ जब परिवार का कोई सदस्य किसी संकट या दुविधा में होते हैं, तो बुजुर्गों का अनुभव और समझ उन्हें सही मार्ग दिखाने में बहुत कारगर साबित होता है।
दूसरी तरफ बुजुर्गों के पास जीवन का व्यापक अनुभव होता है। वे जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे होते हैं और वे जानते हैं कि कठिन समय में कैसे सामंजस्य बैठाया जाता है। उनके सलाह और अनुभव से परिवार के सदस्य जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो पाते हैं। कई बार ऐसा देखा जाता है कि बुजुर्ग अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर परिवार की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत बनाने में बहुत सहयोग करते हैं। इसलिए हर परिवार में बुजुर्गों का होना केवल एक आवश्यकता नहीं, बल्कि वे घर के लिए शोभायमान भी होते हैं| उनकी उपस्थिति से परिवार को एक सशक्त और स्थिर आधार मिलता है, जो हर पीढ़ी के लिए लाभकारी सिद्ध होता है।
लेकिन आज के भौतिकवादी परिवेश में हमारे समाज में जाने-अनजाने अथवा परिस्थितिवश बुजुर्गों की उपेक्षा हो रही है| दिनोदिन बर्जुर्गों की सामाजिक सुरक्षा में हो रही गिरावट उनके जीवन-यापन को बहुत प्रभावित कर रही है। बुढ़ापा में बाल-बच्चों का उनसे अलग रहना, उनपर समुचित ध्यान न देना, उनके शारीरिक और मानसिक दुर्बलता, आर्थिक विपन्नता आदि ऐसे मुद्दे हैं जिसपर विचार करना काफी आवश्यक हो गया है।
आज के परिवेश में बुजुर्गों की सुरक्षा बहुत जरूरी है। दर असल आज के बच्चे ऊँची शिक्षा प्राप्त करने के लिये माता-पिता से बहुत दूर चले जाते हैं, बाहर में ही पढ़ते-लिखते हैं, बाहर ही जॉब लग जाती है, बाहर में ही रहने लगते हैं और बाहर में ही सेटल हो जाते हैं । माता-पिता सोचते रह जाते हैं कि बाल-बच्चा पढ़ लिख जायेगा, नौकरी चाकरी करने लगेगा, कुछ अच्छा करने लगेगा तब हमलोगों का अच्छा दिन आ जाएगा, सुख से जिन्दगी कटेगी लेकिन वास्तव में ऐसा होता नहीं है। सुख की आशा करते-करते बुजुर्ग माता-पिता दुख दरिया में गोन्ता लगाने के लिए विवश हो जाते हैं।
समाज बुजुर्ग व्यक्ति को बरिष्ठ नागरिक के रूप में प्रतिस्थापित करता है। आम तौर पर पैंसठ वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों को बुजुर्गों की श्रेणी में रखा जाता है। चूंकि ज्यादातर पश्चिमी देशों में सेवा निवृत्ति की आयु पैंसठ वर्ष है इसलिए इस उम्र से ऊपर वाले सभी स्त्री-पुरुषों को हमारे देश में भी बुजुर्ग की श्रेणी में रखा गया है और उनकी सुविधा के लिए सरकार द्वारा कुछ विशेष रियायतें भी दी जाती है।
आइए आज हम बुजुर्ग लोगों को सुरक्षित कैसे बनाएं इस पर चर्चा करते हैं|, उनके सामने आसन्न चुनौतियों और समाधान पर विचार विमर्श करते हैं। बुजुर्गों के सामने मुख्य रूप से चार प्रकार की समस्यायें अमूमन रहते हैं| वे हैं शारीरिक समस्या,आर्थिक समस्या, अकेलापन की समस्या और समुचित सम्मान की समस्या।
ऐसा देखा जाता है कि ज्यादातर बुजुर्ग शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं होते, उनके स्नायु तंत्र कमजोर पड़ जाते हैं। बुढापा में कमोवेश पांचों ज्ञान इंद्रियां अपना काम सही ढंग से नहीं कर पाते हैं। उनका चेहरा निश्तेज हो जाता है,चेहरे पर झुर्रियां पड़ जाती है,हाथ में कम्पन होने लगता है, विस्मरण की समस्या आम हो जाती है।
यह बात गौर करने लायक है कि बुजुर्ग लोग युवाओं की तुलना में ज्यादा असुरक्षित होते हैं। उनके पास तरह-तरह की व्याधियां आ जाती है, आंख की रौशनी कम हो जाती है, सुनने की शक्ति भी क्षीण पड़ जाती है, दांत कमजोर हो जाते हैं, आवाज भी कभी-कभी लड़खड़ाने लगती है। इसके अतिरिक्त स्मरण शक्ति का भी ह्रास होने लगती है। और सबसे बड़ी बात है कि उनका आत्मविश्वास कमजोर हो जाता है ।
एक बीमारी की शिकायत लगभग सभी बुजुर्ग को रहती है और वह है घुटनों में दर्द की शिकायत। बुजुर्ग चाहे पुरुष हो या महिला, दोनों उम्र बढ़ने पर कमोबेश इस रोग से ग्रसित हो जाते हैं। इस कारण से उन्हें उठने-बैठने में बहुत परेशानी होती है। घुटना कमजोर हो जाने पर इंडियन टॉयलेट सीट पर वे शौच क्रिया के दौरान उठने-बैठने में बहुत कठिनाई का अनुभव करते हैं।
बुजुर्गों के साथ यह भी देखने को मिलता है कि वह अपनों के बीच में भी गैर हो जाते हैं| यह व्यवहार उन्हें काफी खलता है, उन्हें उदिग्न कर देता है। परिवार के सदस्य को भी अपनी मजबूरी होती है, वे लोग भी विभिन्न तरह के दैनिक कार्यों में व्यस्त रहते हैं| इधर बेचारे बुजुर्ग किसी के आने का इंतज़ार दिनभर करते रहते हैं ।
सुनने की समस्या भी कुछ बुजुर्गों में हो जाती है। कोई यदि उनके सामने धीमी आवाज में बोलता है तब उन्हें सुनाई नही देता है। सामने वाले को बार-बार एक ही बात को दोहराने के लिये बाध्य करते हैं जिससे या तो ऊँची आवाज में बोलता है या वहाँ से टरकर कहीं अन्यत्र चला जाता है। इस परेशानी में हियरिंग ऐड का उपयोग बुजुर्गों को सुरक्षित रखने में सहायक होता है |
बुजुर्गों के लिए यह काफी दुखदायी होता है जब उन्हें अपने द्वारा निर्मित घर में भी उन्हें पराये की तरह रहने को मजबूर किया जाता है। वैसे घरों में बुजुर्ग घुटते रहते हैं। इसका मुख्य कारण उनकी शारीरिक दुर्बलता है। शरीर दुर्बल हो जाने से वे उन परिस्थितियों का प्रतिकार नहीं कर पाते और अपने विवेकहीन औलाद के मर्जी के अनुसार जीवन-यापन करने को विवश हो जाते हैं। पेंशन आदि राशि को भी शारीरिक दुर्बलता के कारण बच्चे उनसे जबरन ले लेते हैं और उनका देखभाल सही ढंग से नहीं करते हैं।
बुढ़ापे में उनके जीवन में कई प्रकार की आर्थिक समस्यायें आ जाती हैं। कुछ बुजुर्गों की कोई इनकम होती नहीं है| ऐसे में बुढ़ापे में मन मुताबिक़ काम वे नहीं कर पाते हैं| स्वास्थ्य ख़राब हो जाने पर आर्थिक अभाव के कारण उनका उचित इलाज नहीं हो पाता है | लेकिन अब प्रधानमंत्री के द्वारा चलाये गए आयुष्मान भारत योजना वैसे आर्थिक तंगी वाले बुजुर्गों के लिए राम बाण साबित हो रहा है| इसके लिए बुजुर्गों को सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न कल्याण कारी योजना के बारे में जानकारी देना बहुत जरूरी है | वृद्धा पेंशन स्कीम से भी अपनी आर्थिक विपन्नता को थोड़ा कम कर सकते हैं । इसके अलावे बुजुर्गों को उनके कानूनी अधिकार की जानकारी भी देनी चाहिए जो उनके जीवन को सुरक्षित बनाने में बहुत मददगार साबित होती है|
बुजुर्ग रहें सुरक्षित इसके लिए परिवार के सदस्यों के साथ-साथ स्वयं की भी कुछ जिम्मेवारी बनती है जैसे कि नियमित रूप से सुबह शाम घुमना| यदि शहर में हैं तो पार्क में जाना, वहां कुछ समय बिताना, अपने मित्रों से मुलाक़ात करना,धार्मिक कार्यक्रमों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करना,मन लायक किताब का अध्ययन करना, मन पसंद संगीत सुनना ,बच्चों के साथ बच्चा बनने का तरकीब अपनाना आदि | इसके अलावे भी बहुत सारी गतिविधियाँ हैं जिसे अपनाकर प्रत्येक बुजुर्ग अपनी जिन्दगी को सुखी,सुरक्षित और सुन्दर बना सकते हैं| यदि बुजुर्ग देहाती क्षेत्र में रहते हैं तो वहां भी वे इस तरह के गतिविधि को अपनाकर अपना जीवन को खुशहाल एवं सुरक्षित बना सकते हैं|
इसके अलावे बुजुर्गों को सुरक्षित करने में उनका नियमित स्वास्थ्य जांच, डॉक्टर से परामर्श, और दवाओं का सही समय पर सेवन सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है|। उन्हें पोषणयुक्त भोजन लेने और शारीरिक व्यायाम के लिए प्रोत्साहित करना भी शामिल है ।
उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना बहुत जरूरी है । अकेलापन से अवसाद बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है| अत: बुजुर्गों को अकेला छोड़ना उन्हें असुरक्षित करना है| बुजुर्ग अपने को घर में उपेक्षित न समझे इसके लिए परिवार के सदस्य उन्हें घर के फैसले में भी शामिल करें जिससे उनका आत्म स्वाभिमान बढेगा और वे बेहतर महसूस करेंगे| घर में उनके खानपान पर भी विशेष ध्यान देना उचित है| उनके मनोरंजन के लिए भी समुचित व्यवस्था हो तो बुजुर्ग अपने को घर में गौरवान्वित समझेंगे|
साथ ही साथ उनकी आर्थिक स्थिति पर ध्यान देना चाहिए| उनके बैंक खातों और संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा किसी भी वित्तीय धोखाधड़ी से बचने-बचाने के लिए इसके प्रति उनको जागरूक रखना बहुत जरूरी है| परिवार के अन्य सदस्यों को भी इन सब बातों पर ध्यान देना चाहिए|
घर के अन्दर भी उनकी सुरक्षा के लिए ध्यान देना जरूरी है|घर का फर्श फिसलन रहित हो, छत पर चढ़नेवाली सीढी पर रेलिंग की व्यवस्था हो,घर में उन्हें अकेला न छोड़ें, शौचालय में उनके लिए सुविधायुक्त शीट एवं सुविधाजनक पहुँच पथ आदि का इंतजाम घर में जरूरी होता है| उनके अनुभवों को महत्व देकर उनके साथ कुछ समय बिताएं।
इसके अलावे बुज़ुर्गों को चलने-फिरने में मदद के लिए, छड़ी या वॉकर जैसे सहारा देने वाले उपकरण उपलब्ध कराएं| बुज़ुर्गों की दवाओं का प्रबंधन करें. दवा अनुसूची बनाएं| उनके स्वास्थ्य में होने वाले किसी भी बदलाव पर ध्यान दें|
बुजुर्गों के सुरक्षित जीवन यापन के लिए उन्हें सरकारी तथा गैर सरकारी स्तर पर मिलनेवाली सुविधाओं की जानकारी देनी चाहिए| उन्हें हल्की शारीरिक गतिविधि या व्यायाम करने के लिए भी प्रात्साहित करना चाहिए|उनके प्रति संवेदन शील रहना चाहिए| परिवार के सदस्यों को उनके साथ कुछ समय जरूर बिताना चाहिए|यदि आप कहीं दूर रहते हैं तो नियमित रूप से उनसे बात करिए, कुशलक्षेम पूछिए और उनकी जरूरतों को पूरा करने की कोशिश कीजिये|
बुजुर्गों को समुचित आदर सम्मान देना हमारा पुनीत कर्तव्य है|| उन्हें सुखी और सुरक्षित रखना परिवार के प्रत्येक सदस्यों की जिम्मेवारी बनती है जिसका निर्वहन सहर्ष करने के लिए हमें हमेशा तैयार रहना चाहिए|बु जुर्गों के सेहत और एक स्वस्थ सामाजिक माहौल मुहैया कराना हम सभी का कर्तव्य बनता है|
अंत में हम यही कहना कहेंगे –
मत करना नजरअंदाज बुजुर्गों की तकलीफों का, ऐ मेरे प्यारे
जब ये बिछुड़ जाते हैं तो रेशम के तकिये पर भी नींद नहीं आती |
धन्यवाद |
मनोरथ महाराज
पटना