वो कच्ची उम्र के प्यार भी हैं तीर भी, तलवार भी

वो कच्ची उम्र के प्यार भी हैं तीर भी, तलवार भी
ताज़ा हैं दिल पे वार भी,और खूब यादगार भी
घर जाएँ वैशतें ,ऐसी भी कोई रात हो
सर सफ़ेद हो गया ,लगता है कल की बात हो
ये कच्ची उम्र के प्यार भी,बड़े पक्के निशान देते है
आज पे कम ध्यान देते है ,बहके-बहके ब्यान देते है
उनको देखे हुए मुद्दत हुई ,और हम अब भी जान देते है।।