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6 Feb 2022 · 1 min read

बुद्धि वरदान मां शारदे दीजिए।

गज़ल- वंदना

212…..212…..212……212
बुद्धि वरदान मां शारदे दीजिए।
अपने आशीष के फूल दे दीजिए।

हो हृदय में उजाला तिमिर दूर हो,
ज्ञान की ज्योति हरदम जले दीजिए।

ऐसी स्याही जो अनमोल अक्षर लिखे,
वो कलम जो हमेशा चले दीजिए।

गीत ग़ज़लें जो लोगों के लब पर रहें,
लिख सकें, और कुछ मत हमें दीजिए।

लेखनी जब चले हो नमन आपको,
प्यार ‘प्रेमी’ सा मैया मुझे दीजिए।

…….✍️ सत्य कुमार प्रेमी

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