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21 Nov 2023 · 1 min read

झकझोरती दरिंदगी

झकझोरती दरिंदगी

नारी का सम्मान कर रहा है ह्रदय-विदारक चीत्कार,
हाल ही में हुआ है हैवानियत का शर्मनाक व्यवहार।

जब स्वार्थ -भावना प्राथमिकता पाती है,
तब संवेदना मूक-दर्शक बन जाती है।

निर्लज्जता का नंगा नाच जब निडरता से हो रहा था,
नारी- अधिकारिता का रक्षक संयंत्र तब सो रहा था।

नारी अस्मिता पर होती परिचर्चा में उभर कर आता है यह सार ,
पूर्व में अनुचित हुआ है इसलिए आज काअनुचित भी हो स्वीकार।

हम गर्व से कहते हैं ” यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमन्ते तत्र देवता ”
क्यों नहीं यह वाक्य शूल समान हमारे हृदयों को भेदता।

दल,धर्म या जाति के आधार पर क्यों सहन हो नारी का अपमान,
इस अधर्म से प्रभावित होती है हमारी संस्कृति की उच्च शान।

क्यों है मानवों का कानून दानवों के लिये, इसपर हो गंभीर विचार,
क्यों न दानवों से अविलम्ब छीना जाये उनके जीने का अधिकार।

डॉ हरविंदर सिंह बक्शी
22-7-2023

Language: Hindi
146 Views
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