Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Apr 2024 · 1 min read

बारम्बार प्रणाम

#दिनांक:-14/4/2024
#शीर्षक:-बारम्बार प्रणाम।

चौदह अप्रैल का दिन विशेष,
प्रकट हुए दलितों के अशेष।
छुआछूत की दुर्गम राह,
पहचाना अन्तर्निहित निमेष।

हर मजहब से उठकर,
धर्म जातिवाद में तैरकर,
जो है महान संविधान,
रातदिन मेहनत से रचकर ।

भोग विलास को ठुकराने वाले,
जांति पर आवाज उठाने वाले।
विधिवेत्ता,अर्थशास्त्री,समाज-सुधारक ,
बुद्ध का अनुकरण जीवन में करने वाले ।

अपना खुद पथप्रदर्शक बन चलते रहे,
विरोधियों को प्रेम से चलना सिखाते रहे।
ऐसे कर्मठ कर्मवीर को शत शत नमन,
अनमोल दीपक देश में अनवरत जलते रहे।

दलित घर-आंगन की भीरु है शान,
विश्वस्तरीय भारतीय संसद का अभिमान।
अमर हुआ दलित समाज सुधारक एक नाम ,
भीमराव बाबा साहेब को बारम्बार प्रणाम ।

(स्वरचित)
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई

Language: Hindi
19 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
#drarunkumarshastri
#drarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अपनी सोच का शब्द मत दो
अपनी सोच का शब्द मत दो
Mamta Singh Devaa
सियासी खबरों से बचने
सियासी खबरों से बचने
*Author प्रणय प्रभात*
....????
....????
शेखर सिंह
#शिवाजी_के_अल्फाज़
#शिवाजी_के_अल्फाज़
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
तू है लबड़ा / MUSAFIR BAITHA
तू है लबड़ा / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
जब तुम एक बड़े मकसद को लेकर चलते हो तो छोटी छोटी बाधाएं तुम्
जब तुम एक बड़े मकसद को लेकर चलते हो तो छोटी छोटी बाधाएं तुम्
Drjavedkhan
दिल से दिलदार को मिलते हुए देखे हैं बहुत
दिल से दिलदार को मिलते हुए देखे हैं बहुत
Sarfaraz Ahmed Aasee
"कलम के लड़ाई"
Dr. Kishan tandon kranti
2848.*पूर्णिका*
2848.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हो रही है ये इनायतें,फिर बावफा कौन है।
हो रही है ये इनायतें,फिर बावफा कौन है।
पूर्वार्थ
जिसकी जिससे है छनती,
जिसकी जिससे है छनती,
महेश चन्द्र त्रिपाठी
उठे ली सात बजे अईठे ली ढेर
उठे ली सात बजे अईठे ली ढेर
नूरफातिमा खातून नूरी
“ आहाँ नीक, जग नीक”
“ आहाँ नीक, जग नीक”
DrLakshman Jha Parimal
Memories
Memories
Sampada
वक्त आने पर भ्रम टूट ही जाता है कि कितने अपने साथ है कितने न
वक्त आने पर भ्रम टूट ही जाता है कि कितने अपने साथ है कितने न
Ranjeet kumar patre
💐प्रेम कौतुक-205💐
💐प्रेम कौतुक-205💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
शंकर हुआ हूँ (ग़ज़ल)
शंकर हुआ हूँ (ग़ज़ल)
Rahul Smit
चली ⛈️सावन की डोर➰
चली ⛈️सावन की डोर➰
डॉ० रोहित कौशिक
जहां तक रास्ता दिख रहा है वहां तक पहुंचो तो सही आगे का रास्त
जहां तक रास्ता दिख रहा है वहां तक पहुंचो तो सही आगे का रास्त
dks.lhp
भय भव भंजक
भय भव भंजक
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
There are only two people in this
There are only two people in this
Ankita Patel
*लिख दी रामायण अनूठी वाल्मीकि जी ने (घनाक्षरी)*
*लिख दी रामायण अनूठी वाल्मीकि जी ने (घनाक्षरी)*
Ravi Prakash
जय मां शारदे
जय मां शारदे
Anil chobisa
हम हँसते-हँसते रो बैठे
हम हँसते-हँसते रो बैठे
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
आपका स्नेह पाया, शब्द ही कम पड़ गये।।
आपका स्नेह पाया, शब्द ही कम पड़ गये।।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
हक़ीक़त ने
हक़ीक़त ने
Dr fauzia Naseem shad
माँ तुम्हारे रूप से
माँ तुम्हारे रूप से
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
-अपनी कैसे चलातें
-अपनी कैसे चलातें
Seema gupta,Alwar
छल छल छलके आँख से,
छल छल छलके आँख से,
sushil sarna
Loading...