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3 Feb 2024 · 1 min read

अपनी सोच का शब्द मत दो

किसी ने प्रेम लिखा
पर उसका दांपत्य जीवन
दुखों से भरा था
लोगों ने उसके लेखन से
उसका चरित्र तौल दिया ,

किसी ने दर्द लिखा
सच में उसको अपनों से
बहुत दर्द मिला था
लोगों ने उसके लेखन को
प्रश्नों से बींध दिया ,

किसी ने अध्यात्म लिखा
अपार चिंतन करके
ख़ुद को उससे आत्मसात किया
लोगों ने उसके लेखन को
सम्मान नहीं दिया ,

किसी ने दूसरे का चोरी करके लिखा
अपना कहकर उसको
सबके आगे पेश किया
लोगों ने चाटुकारिता में
वाह वाह किया ,

लोग आंखों में पट्टी बांध कर
हाथ में तराज़ू लेते हैं
सही ग़लत का फ़र्क देख नहीं पाते
बस अपने हिसाब से
फैसला सुनाते हैं ,

अरे ! उन शब्दों का बारीकी से मर्म समझो
फिर उनके लेखनी की
आलोचना या तारीफ दो
लेकिन उनकी लेखनी को
अपनी सोच का शब्द मत दो ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा )

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