Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 May 2023 · 3 min read

अन्हारक दीप

अन्हारक दीप।
-आचार्य रामानंद मंडल
तमसो मा ज्योतिर्गमय के उद्घोष करैत अन्हारक दीप मैथिली कविता संग्रह कुमार विक्रमादित्य विरचित हय ।
कोशी नदी के बालूका राशि बनल सारा पर टिमटिमाइत दीप मृत्योमा अमृत गमयं के संगे तमसो मा ज्योतिर्गमय के उद्घोष करैत हय।
एक एक टा दीप ‘क अंतसक ज्वाला जगमगाइत आ
एक्के बेर धधैक उठत अग्निशिखा आ दूर करत अन्हार कें
-अन्हारक दीप कविता से
अंहारक दीप एकटा दीर्घ कविता हय।अइ कविता मे कोशी के विनाशलीला के वर्णन के साथे समाज आ देश में होइत विनाशलीला पर कड़गगड़ प्रहार हय।कोशी माय आ फणीश्वरनाथ रेणु के शब्द में कोशी डाइन के विनाशकारी लीला कोरोना काल के प्रयाग राज स्थित मानव लाश से पटल बालूका गंगा तट के याद कराबैत हय।
आजादी के अमृत महोत्सव उपलक्ष मे अप्पन ७६ कविता संग आजादी के ७६साल पर विभिन्न कविता मादे विचार प्रकट कैलन हय। जेना -आजादी,फूसिक ढेर, गांधी मैदान आदि।
हमर खबास पुछलक
मालिक अपन देश आजाद कहिया होतअ
-आजादी कविता से
हालांकि खबास आ मालिक वार्ता आजादी के लेल अप्रासंगिक लगैय हय परंतु आजादी पर प्रश्न चिन्ह उठबैत हय।
फूसिक ढेर पर बैसल संसद
रचैत अछि
फूसियोका पुलिस
फूसियोका न्यायक आस
फूसियोका संविधान
-फूसिक ढेर कविता से
गांधी मैदानक उपस्थिति
जतय ठाढ़ तथा जुगपुरुष
आ मोन पारैत छथि
अपन ओहि भाषण में
-गांधी मैदान कविता से
दीर्घ कविता मे बदलैत सन गाम हमर आ टीस हय।
बदलैत सन गाम हमर के माध्यम से सामाजिक ताना-बाना, सामाजिक प्रेम आ समाज पर राजनीतिक प्रभाव के निक शब्द चित्रण हय।
मंडल कमिशनक असर हमरो गाम मे पड़े
गुआर कें आब गुआर कहब पसिन नहि
आब भेल ओ यादव
आ बाभनो करय लागल परहेज ओहि शब्द से
सामाजिक समरसताक खातिर
बदलैत सन गाम हमर कविता से
कविता संग्रह में प्रथम कविता भगवान में कवि भगवान के खोजैत धार्मिक पाखंड पर प्रहार करैत हतन।
जौं किनको भगवान टकरायात
तो विनती अछि हमरो सं मिलायब।
त मालिक भगवान में देश के लोकतांत्रिक आ प्रशासनिक व्यवस्था के खामी पर इशारा करैत हतन।
उठा रहल अछि
लोकतंत्र सं लोकक विश्वास
असली भगवान में खराब चिकित्सा व्यवस्था पर प्रहार
बिन पैसा देने लाशो नहि भेटल
तं अहां बुझू
अहांक समक्ष ठाढ़ अछि साक्षात असली भगवान।
नारी के दुर्दशा ब्यथा पर शतरूपा,प्रसबपीड़ा आ
विधवा कविता से दर्शायल गेल हय।
जंगली जानवर आबि रहल अछि
पछोड़ धरने हपकऐक लेल
शतरूपा भागि रहल अछि
-शतरूपा से
एकटा छटपटाइत स्री
ठाढ छलीह अपन दर्द के रोकने
-प्रसव पीड़ा से

ओ पियाक सांस टूटिते
उतरि गेल देह सं
हाथक चूड़ि टूटि गेल
-विधवा से
कविता संग्रह में हकमैत शहर,कानैत शहर,भागैत शहर के मादे बदलैत शहर आ विभिन्न विसंगति पर प्रकाश डालैय हय त भखरैत समाज,पितृभोज,सुगरिक मादे सामाजिक चित्रण कैल गेल हय। मजदूर वर्ग के पीड़ा पर अर्द्ध मजूरी,ईट ऊघंनी आ महंथी के मादे शब्द चित्रित हय।
अंतिम कविता हम लड़ैत छी में कवि हर समस्या से लड़ैत हतन।
हम नित लड़ैत छी
अपना सं
अपन कएल गेल
गलती सं
चाहे वो सामाजिक, राजनीतिक आ आर्थिक कैल गेल गलती काहे न हो
कविता संग्रह अन्हारक दीप वोइ सभ आयाम के अंधियारा पर प्रकाश डालैय हय।नवकवि अन्हार के अप्पन दीप से प्रकाशित करय मे सफल हतन। बधाई संगे शुभकामना।
-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सह साहित्यकार सीतामढ़ी।

1 Like · 472 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
धूतानां धूतम अस्मि
धूतानां धूतम अस्मि
DR ARUN KUMAR SHASTRI
यह मन
यह मन
gurudeenverma198
थम जाने दे तूफान जिंदगी के
थम जाने दे तूफान जिंदगी के
कवि दीपक बवेजा
अजनबी
अजनबी
Shyam Sundar Subramanian
बैठ अटारी ताकता, दूरी नभ की फाँद।
बैठ अटारी ताकता, दूरी नभ की फाँद।
डॉ.सीमा अग्रवाल
फारवर्डेड लव मैसेज
फारवर्डेड लव मैसेज
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*
*"हिंदी"*
Shashi kala vyas
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"मकर संक्रान्ति"
Dr. Kishan tandon kranti
*अध्याय 10*
*अध्याय 10*
Ravi Prakash
🧟☠️अमावस की रात☠️🧟
🧟☠️अमावस की रात☠️🧟
SPK Sachin Lodhi
फितरत से बहुत दूर
फितरत से बहुत दूर
Satish Srijan
अपनी चाह में सब जन ने
अपनी चाह में सब जन ने
Buddha Prakash
सूर्यदेव
सूर्यदेव
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
थोथा चना
थोथा चना
Dr MusafiR BaithA
💐प्रेम कौतुक-471💐
💐प्रेम कौतुक-471💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
अपने क़द से
अपने क़द से
Dr fauzia Naseem shad
रससिद्धान्त मूलतः अर्थसिद्धान्त पर आधारित
रससिद्धान्त मूलतः अर्थसिद्धान्त पर आधारित
कवि रमेशराज
कुछ लिखा हैं तुम्हारे लिए, तुम सुन पाओगी क्या
कुछ लिखा हैं तुम्हारे लिए, तुम सुन पाओगी क्या
Writer_ermkumar
काश तुम्हारी तस्वीर भी हमसे बातें करती
काश तुम्हारी तस्वीर भी हमसे बातें करती
Dushyant Kumar Patel
हमको
हमको
Divya Mishra
मौन में भी शोर है।
मौन में भी शोर है।
लक्ष्मी सिंह
ग़ज़ल _रखोगे कब तलक जिंदा....
ग़ज़ल _रखोगे कब तलक जिंदा....
शायर देव मेहरानियां
मेरी औकात के बाहर हैं सब
मेरी औकात के बाहर हैं सब
सिद्धार्थ गोरखपुरी
मिलने के समय अक्सर ये दुविधा होती है
मिलने के समय अक्सर ये दुविधा होती है
Keshav kishor Kumar
मुझे कृष्ण बनना है मां
मुझे कृष्ण बनना है मां
Surinder blackpen
अदरक वाला स्वाद
अदरक वाला स्वाद
दुष्यन्त 'बाबा'
2643.पूर्णिका
2643.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
फरियादी
फरियादी
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
दुख तब नहीं लगता
दुख तब नहीं लगता
Harminder Kaur
Loading...