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14 May 2023 · 1 min read

ग़ज़ल _रखोगे कब तलक जिंदा….

रुलाओगे बहुत खुद को मुहब्बत यार मत करना!।
बड़े घाटे की शय ठहरी कभी व्यापार मत करना।।

सताएँगे रुलायेंगे,जताके चाहते अपनी,
नहीं कोई दवा इसकी दिले-बीमार मत करना।

बसा लेना दिलों में तुम बना के धड़कने अपनी,
मगर इतना समझ लो तुम निगाहें चार मत करना।

तुम्हारी चाहतों का ये सिला जाने क्या फिर देंगे
बडे शातिर बहुत हैं ये,कभी इजहार मत करना।

कहें सब लोग दरिया है बहुत गहरा ये उल्फत का,
लगोगे डुबने इसमें कभी भी पार मत करना।

रखोगे कब तलक जिंदा,मुहब्बत के झरोखे में,
परिंदा है बहुत नादाँ,जरा भी वार मत करना।

किया है अब तलक घायल तिरे दिलकश कलामो ने,
चलाए तीर जो दिल पे वही अशआर मत करना।

✍शायर देव मेहरानियाँ _ राजस्थानी
(शायर, कवि व गीतकार)
7891640945

Language: Hindi
Tag: Poem
1 Like · 385 Views
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