बरसात
बरसात में अब कहां वो बरसात होती है
दिन में ही अब दिनदहाड़े रात होती है ,
बरसात भी रिश्तो की तरह अब बदल गई है , बरसात किसी और ही रंग में अब ढल गई है |
बरसात भी सिर्फ अमीरों को खुशी दिलाती है, गरीब को वही बरसात खून के आंसू रुलाती है,
बरसात में है पानी और पानी की बरसात,
बादल से जाके पूछो ,तुम बूंद के जज़्बात |
बूंद से जाकर पूछो, एक कतरे की औकात ,
बरसात का पानी अब आंखों में कहां रहता है, हॉ ‘खुशी के आंसू’ बरसात बनकर बहता है |
काश जिंदगी में हो जाए फिर पहले जैसी बात, पूरे जहां में जमकर हो खुशी की बरसात,
काश बरसात की वह अधूरी कड़ी,
फिर मुकम्मल हो जाए,
बूंद मिट्टी, पानी, पेड़, और इंसान ,
समस्या सब हल हो जाए |
इंदु शर्मा