“प्रारम्भिक पाठशाला परिवार”
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल “
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बहुत देर धरि आत्ममंथन करैत रहलहूँ ! किछु आइ लिखबा क चाहि ! सोझा मे लैपटाप राखल अछि ! अनेको विधा सं परिपूर्ण इ कम्प्युटर अछि ! फेसबुक देखू ,संगीत सुनू ,नृत्य देखू ,विश्व क समाचार पढू आ देखू ,कविता पढू,खेल देखू ,पूर्ण ब्रह्मांड क विचरण करू इत्यादि आर बहुत व्यंजनक प्रावधान अछि ! तथापि ,हमर इच्छा जागि गेल जे किछु लिखू ! ओना कोनो आन व्यंजन हमरा लेल बांतर नहि अछि ! हमर पाचन तंत्र अखनोधरि ठीक अछि !
पहिने त विषय सूझिये नहि रहल छल ! कखनो मन भेल कविता क रचना करि ! छंद ,रस आ विषय क चयन करि ! काखनो मोन केलक लघु कथा लिखू ! एक क्षण संस्मरण लिखबाक मन भेल ! राजनीतियों मे अनेक विषय अछि ! मुदा साहित्य सं अधिकांश लोग आइ काल्हि विक्षुब्ध भ गेल छथि ! बहुत कम महानुभाव छथि जे कविता ,कहानी ,संस्मरण इत्यादि पढ़ताह ! हाँ ,राजनीतिशास्त्र मे संभवतः कियो नहि पछुयायल छथि !
लिखनाई पहिने अबूह छल ! बाड़ी-झाड़ी सं सुखल कड़ची अनैत छलहूँ ! चाकू सं छिल कें कलम बनबैत छलहूँ ! रंग घोरि स्याही बनबैत छलहूँ ! होल्डर नींव बनल ,फाउंटेन पेन बनल तकर बाद बॉल पेन बनल ! लेखनी मे अखनो धरि एकर महत्व छैक ! मुदा नव युग क बरदान नवयंत्र लिखनाई सुगम आ द्रुत बना देने अछि ! संचार क युग मे एक नवीन क्रांति आबि गेल अछि ! आ क्रांति समस्त जनमानस धरि पहुँचि गेल !
चलू ,आइ एकटा गंभीर विषय पर चर्चा करैत छी ! कम्प्युटर हमरलोकनि सब अस्त्र -शस्त्र सं सुसज्जित केने अछि ! हम धनुर्धारी बनि गेलहूँ आ प्रतापी उपमा सं अलंकृत भेलहूँ ! मुदा शिष्टाचार ,माधुर्यता ,आदर -सत्कार ,प्रेम ,विनम्रता इत्यादि गुणक शिक्षा हमर गूगल प्रयोगिक रुपें देबा मे सक्षम नहि छथि ! साहित्यिक परिभाषा ,दृष्टांत आ उल्लेख प्रचुर मात्रा मे व्याप्त अछि मुदा सब बूते आत्मसाध असंभव अछि !
शिष्टाचार ,व्यवहार ,मृदुलता ,माधुर्यता ,आदर -सत्कार ,प्रेम विनम्रता इत्यादि क शिक्षा हमरालोकनि कें अपन प्रारम्भिक पाठशाला परिवार ,समाज ,अरिजन -परिजन ,शिक्षक ,स्कूल ,कॉलेज ,प्रशिक्षण ,भ्रमण आ पौराणिक ग्रंथ मे भेटइत अछि ! एकर अभाव मे हम सब काखनो पूर्ण नहि छी ! आइ हजार लोकनि मित्र बनि रहल छथि ! मुदा संस्कार रहित मित्रता स्वतः कोप भवन मे चलि जाइत अछि !
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड
भारत
12 ,11 ,2021