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15 May 2023 · 1 min read

तेरे शहर में

तेरे शहर में

तेरे शहर में क्या क्या नहीं होता।
बस एक वादा ए वफ़ा नहीं होता।

दूर तक तकती रही जिसको आंखें
वो शख्स मगर, हमनवां नहीं होता।

मेरे अशकों पे जो ,गौर फरमाये
हर कोई दिलजला नहीं होता।

ग़र वफ़ा निभाने वाले साथ दे,
इश्क़ फिर सज़ा नहीं होता।

इल्तज़ा करो,रहो तुम सजदे में
खुदा किसी से खफा़ नहीं होता।

सुरिंदर कौर

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