Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2024 · 1 min read

*हे शारदे मां*

हे शारदे मां

हे शारदे मां! हे शारदे मां !
अज्ञानता से हमें तार दे मां।
वीणा है तेरे हाथों में शोभित,
कंठ में मेरे झनकार दे मां,
सुरों का हमको वरदान दे मां।

हे शारदे मां! हे शारदे मां!
अज्ञानता से हमें तार दे मां।
मन में अंधेरा जो है व्यापित,
निर्बलता से हमें तार दे मां।

हे शारदे मां!हे शारदे मां!
अज्ञानता से हमें तार दे मां।
झूठ और प्रपंच है चहुं ओर फैला,
ऐसे अवगुण से निस्तार दे मां।

हे शारदे मां! हे शारदे मां !
अज्ञानता से हमें तार दे मां।
साक्षरता जिनमें नाम मात्र की हो,
अक्षरों का उनको तू ज्ञान दे मां।

हे शारदे मां! हे शारदे मां!
अज्ञानता से हमें तार दे मां।
हंस वाहिनी कमल पर विराजित,
स्नेह की सरिता का संचार दे मां।

हे शारदे मां! हे शारदे मां!
अज्ञानता से हमें तार देना।
वेदों पुराणों के अध्यायों की,
विद्या का हमको वरदान दे मां।
डॉ प्रिया।
अयोध्या।

Language: Hindi
1 Like · 29 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दोगलापन
दोगलापन
Mamta Singh Devaa
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
विराम चिह्न
विराम चिह्न
Neelam Sharma
युवा अंगार
युवा अंगार
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
समूचे साल में मदमस्त, सबसे मास सावन है (मुक्तक)
समूचे साल में मदमस्त, सबसे मास सावन है (मुक्तक)
Ravi Prakash
हमारे दोस्त
हमारे दोस्त
Shivkumar Bilagrami
एक आंसू
एक आंसू
Surinder blackpen
इतना भी खुद में
इतना भी खुद में
Dr fauzia Naseem shad
अपनी बड़ाई जब स्वयं करनी पड़े
अपनी बड़ाई जब स्वयं करनी पड़े
Paras Nath Jha
मेरे नन्हें-नन्हें पग है,
मेरे नन्हें-नन्हें पग है,
Buddha Prakash
मन मंदिर के कोने से
मन मंदिर के कोने से
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
#बह_रहा_पछुआ_प्रबल, #अब_मंद_पुरवाई!
#बह_रहा_पछुआ_प्रबल, #अब_मंद_पुरवाई!
संजीव शुक्ल 'सचिन'
पंख पतंगे के मिले,
पंख पतंगे के मिले,
sushil sarna
#लघुकथा
#लघुकथा
*Author प्रणय प्रभात*
आज तुझे देख के मेरा बहम टूट गया
आज तुझे देख के मेरा बहम टूट गया
Kumar lalit
आप करते तो नखरे बहुत हैं
आप करते तो नखरे बहुत हैं
Dr Archana Gupta
काम से राम के ओर।
काम से राम के ओर।
Acharya Rama Nand Mandal
3394⚘ *पूर्णिका* ⚘
3394⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
माँ शारदे
माँ शारदे
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
जब स्वार्थ अदब का कंबल ओढ़ कर आता है तो उसमें प्रेम की गरमाह
जब स्वार्थ अदब का कंबल ओढ़ कर आता है तो उसमें प्रेम की गरमाह
Lokesh Singh
क्यों गए थे ऐसे आतिशखाने में ,
क्यों गए थे ऐसे आतिशखाने में ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
"आज का दौर"
Dr. Kishan tandon kranti
वो जाने क्या कलाई पर कभी बांधा नहीं है।
वो जाने क्या कलाई पर कभी बांधा नहीं है।
सत्य कुमार प्रेमी
सिंह सा दहाड़ कर
सिंह सा दहाड़ कर
Gouri tiwari
रिश्तों की बंदिशों में।
रिश्तों की बंदिशों में।
Taj Mohammad
हम शिक्षक
हम शिक्षक
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
मुझे तुम मिल जाओगी इतना विश्वास था
मुझे तुम मिल जाओगी इतना विश्वास था
Keshav kishor Kumar
ऐ माँ! मेरी मालिक हो तुम।
ऐ माँ! मेरी मालिक हो तुम।
Harminder Kaur
जो लोग अपनी जिंदगी से संतुष्ट होते हैं वे सुकून भरी जिंदगी ज
जो लोग अपनी जिंदगी से संतुष्ट होते हैं वे सुकून भरी जिंदगी ज
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
चिंतन और अनुप्रिया
चिंतन और अनुप्रिया
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
Loading...