Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jan 2024 · 1 min read

दोगलापन

पत्नी तुम्हारे कहने से मुस्कराए
तुम्हारे कहने से जागे
तुम्हारे कहने से सो जाए
तुम्हारे घर में रहकर
तुम्हारी सुविधाओं का
भरपूर ख़्याल रखे
इसके बावजूद
उसके नाम के आगे
कोई अलंकार जड़ने की
कोई जहमत ना उठाई जाए ,
तुम कमाई करके
अपने घर के मालिक
कभी भी घर आओ जाओ
अपने हिसाब से
उठो बैठो और मुस्कराओ
जब जी करे
जो चाहो बनवाओ खाओ
और दुनिया जहान में
पत्नी से प्रेम करने वाले
आज्ञाकारी पति कहलाओ ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा )

83 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mamta Singh Devaa
View all
You may also like:
2571.पूर्णिका
2571.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
* जिन्दगी की राह *
* जिन्दगी की राह *
surenderpal vaidya
!...............!
!...............!
शेखर सिंह
सुख भी बाँटा है
सुख भी बाँटा है
Shweta Soni
श्रम करो! रुकना नहीं है।
श्रम करो! रुकना नहीं है।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
"बेकसूर"
Dr. Kishan tandon kranti
पर्यावरण
पर्यावरण
Manu Vashistha
डॉ. नगेन्द्र की दृष्टि में कविता
डॉ. नगेन्द्र की दृष्टि में कविता
कवि रमेशराज
👉 ताज़ा ग़ज़ल :--
👉 ताज़ा ग़ज़ल :--
*Author प्रणय प्रभात*
💐प्रेम कौतुक-433💐
💐प्रेम कौतुक-433💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
दिन को रात और रात को दिन बना देंगे।
दिन को रात और रात को दिन बना देंगे।
Phool gufran
"आधुनिक नारी"
Ekta chitrangini
बस मुझे महसूस करे
बस मुझे महसूस करे
Pratibha Pandey
जननी-अपना देश (कुंडलिया)
जननी-अपना देश (कुंडलिया)
Ravi Prakash
किससे कहे दिल की बात को हम
किससे कहे दिल की बात को हम
gurudeenverma198
'सवालात' ग़ज़ल
'सवालात' ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
सुरक्षित भविष्य
सुरक्षित भविष्य
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बुढ़ापे में हड्डियाँ सूखा पतला
बुढ़ापे में हड्डियाँ सूखा पतला
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
नहीं मिलते सभी सुख हैं किसी को भी ज़माने में
नहीं मिलते सभी सुख हैं किसी को भी ज़माने में
आर.एस. 'प्रीतम'
कैसे अम्बर तक जाओगे
कैसे अम्बर तक जाओगे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
When we constantly search outside of ourselves for fulfillme
When we constantly search outside of ourselves for fulfillme
Manisha Manjari
आसा.....नहीं जीना गमों के साथ अकेले में
आसा.....नहीं जीना गमों के साथ अकेले में
कवि दीपक बवेजा
प्यार
प्यार
Satish Srijan
Kabhi kabhi
Kabhi kabhi
Vandana maurya
सागर की हिलोरे
सागर की हिलोरे
SATPAL CHAUHAN
शिष्टाचार के दीवारों को जब लांघने की चेष्टा करते हैं ..तो दू
शिष्टाचार के दीवारों को जब लांघने की चेष्टा करते हैं ..तो दू
DrLakshman Jha Parimal
**मातृभूमि**
**मातृभूमि**
लक्ष्मण 'बिजनौरी'
मुझको कभी भी आज़मा कर देख लेना
मुझको कभी भी आज़मा कर देख लेना
Ram Krishan Rastogi
जय महादेव
जय महादेव
Shaily
प्रेम स्वतंत्र आज हैं?
प्रेम स्वतंत्र आज हैं?
The_dk_poetry
Loading...