Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jan 2024 · 1 min read

पुनर्जागरण काल

ये पावन पुनीत अमृत वेला है
जो पी रहा रस हो अलवेला है
हर तरफ एक ही गूंज गूंज रही
जय जय हो बस यही धूम रही
महक रहा अध्यात्म धर्म के संग है
चहक रहा समय करम के रंग है
देखो प्रजा में कैसा उल्लास है
झूम रहा धरती संग आकाश है
ये पुनरुत्थान का समय आया है
भक्ति प्रेम का अलख जगाया है
हे ईश्वर पूर्ण परमेश्वर जागे हर चेतना
हो नाम तुम्हारा भू सकल यही प्रार्थना

Language: Hindi
10 Likes · 90 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr.Pratibha Prakash
View all
You may also like:
माटी
माटी
AMRESH KUMAR VERMA
इक क़तरा की आस है
इक क़तरा की आस है
kumar Deepak "Mani"
हम हो जायेंगें दूर तूझसे,
हम हो जायेंगें दूर तूझसे,
$úDhÁ MãÚ₹Yá
तुम मेरी जिन्दगी बन गए हो।
तुम मेरी जिन्दगी बन गए हो।
Taj Mohammad
हर एक अवसर से मंजर निकाल लेता है...
हर एक अवसर से मंजर निकाल लेता है...
कवि दीपक बवेजा
मेरी जिंदगी भी तुम हो,मेरी बंदगी भी तुम हो
मेरी जिंदगी भी तुम हो,मेरी बंदगी भी तुम हो
कृष्णकांत गुर्जर
*उदघोष*
*उदघोष*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
#लाश_पर_अभिलाष_की_बंसी_सुखद_कैसे_बजाएं?
#लाश_पर_अभिलाष_की_बंसी_सुखद_कैसे_बजाएं?
संजीव शुक्ल 'सचिन'
*सुबह हुई तो गए काम पर, जब लौटे तो रात थी (गीत)*
*सुबह हुई तो गए काम पर, जब लौटे तो रात थी (गीत)*
Ravi Prakash
बेटियां!दोपहर की झपकी सी
बेटियां!दोपहर की झपकी सी
Manu Vashistha
सिद्धत थी कि ,
सिद्धत थी कि ,
ज्योति
सफ़र है बाकी (संघर्ष की कविता)
सफ़र है बाकी (संघर्ष की कविता)
Dr. Kishan Karigar
3163.*पूर्णिका*
3163.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्रकृति
प्रकृति
लक्ष्मी सिंह
लिखा नहीं था नसीब में, अपना मिलन
लिखा नहीं था नसीब में, अपना मिलन
gurudeenverma198
Not a Choice, But a Struggle
Not a Choice, But a Struggle
पूर्वार्थ
अभिनय से लूटी वाहवाही
अभिनय से लूटी वाहवाही
Nasib Sabharwal
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
न ख्वाबों में न ख्यालों में न सपनों में रहता हूॅ॑
न ख्वाबों में न ख्यालों में न सपनों में रहता हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
अफसोस
अफसोस
Dr. Kishan tandon kranti
मूर्ख जनता-धूर्त सरकार
मूर्ख जनता-धूर्त सरकार
Shekhar Chandra Mitra
बेजुबान तस्वीर
बेजुबान तस्वीर
Neelam Sharma
रमेशराज की माँ विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की माँ विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
लक्ष्य हासिल करना उतना सहज नहीं जितना उसके पूर्ति के लिए अभि
लक्ष्य हासिल करना उतना सहज नहीं जितना उसके पूर्ति के लिए अभि
Sukoon
■ सनातन सत्य...
■ सनातन सत्य...
*Author प्रणय प्रभात*
वक्त से लड़कर अपनी तकदीर संवार रहा हूँ।
वक्त से लड़कर अपनी तकदीर संवार रहा हूँ।
सिद्धार्थ गोरखपुरी
* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
शहीद दिवस
शहीद दिवस
Ram Krishan Rastogi
वो साँसों की गर्मियाँ,
वो साँसों की गर्मियाँ,
sushil sarna
अमृत वचन
अमृत वचन
Dp Gangwar
Loading...