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13 Apr 2024 · 1 min read

अफसोस

वे लोग पूरी तरह
नकार दिए गए
जो देवदारों की तरह
सीना तान खड़े रहे
कर्तव्य की ऊँचाई पर,
आंधियों से टकरा गए
सिर्फ एक दुहाई पर।

जिसने सारे कष्ट सहकर
खुद अपनी राह बनाई,
जिसने सारी मानवता को
सही राह दिखाई।

प्रकाशित 46वीं काव्य-कृति :
‘वक्त की रेत’ से,,,

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत भूषण सम्मान प्राप्त।

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 22 Views
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