यही रात अंतिम यही रात भारी।
थर्मामीटर / मुसाफ़िर बैठा
चुगलखोरों और जासूसो की सभा में गूंगे बना रहना ही बुद्धिमत्ता
*अज्ञानी की कलम *शूल_पर_गीत*
उनकी नाराज़गी से हमें बहुत दुःख हुआ
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
*गाते हैं जो गीत तेरे वंदनीय भारत मॉं (घनाक्षरी: सिंह विलोकि
स्वाद छोड़िए, स्वास्थ्य पर ध्यान दीजिए।
विश्व की पांचवीं बडी अर्थव्यवस्था
💐प्रेम कौतुक-164💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हर-दिन ,हर-लम्हा,नयी मुस्कान चाहिए।
*नमस्तुभ्यं! नमस्तुभ्यं! रिपुदमन नमस्तुभ्यं!*
खिल जाए अगर कोई फूल चमन मे
मुक्तक-विन्यास में रमेशराज की तेवरी
कभी बेवजह तुझे कभी बेवजह मुझे