बाहर जो दिखती है, वो झूठी शान होती है,
मोहतरमा कुबूल है..... कुबूल है /लवकुश यादव "अज़ल"
आज के दौर के मौसम का भरोसा क्या है।
हम उलझते रहे हिंदू , मुस्लिम की पहचान में
कजरी
सूरज राम आदित्य (Suraj Ram Aditya)
एक अच्छी जिंदगी जीने के लिए पढ़ाई के सारे कोर्स करने से अच्छा
बर्फ़ीली घाटियों में सिसकती हवाओं से पूछो ।
घास को बिछौना बना कर तो देखो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बिना पंख फैलाये पंछी को दाना नहीं मिलता
प्रेरणा गीत (सूरज सा होना मुश्किल पर......)
उतर गया प्रज्ञान चांद पर, भारत का मान बढ़ाया
मिलने के समय अक्सर ये दुविधा होती है