Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jan 2017 · 1 min read

तेरी याद

मेरे खामोश लबों के हिलने से
तेरी आवाज़ आई ।
सच कहता हूँ उस पल तेरी,
बहुत याद आई ।

पत्तों की सरसराहट से
दिल में कहीं हलचल हुई ।
वृष्टि ने होकर निरंतर
मन में तेरी प्यास जगाई,
उस पल तेरी बहुत याद आई ।।

जब कभी बच्चों को, लड़ते हुए देखा मैंने
जब कभी युगलों को, प्रेमपाश में देखा मैंने
जब कभी यशोदा को, कृष्ण को छूते देखा
जब कभी भँवरे को , पुष्प पर बैठे देखा
क्या कहूँ उस पल मैंने, तुझको हीं आवाज़ लगाई
तेरी उस पल , हद से ज्यादा
बहुत से ज़्यादा बहुत याद आई ।।

…….अर्श

Language: Hindi
296 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हरा नहीं रहता
हरा नहीं रहता
Dr fauzia Naseem shad
3217.*पूर्णिका*
3217.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बदलता भारत
बदलता भारत
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
ओ चाँद गगन के....
ओ चाँद गगन के....
डॉ.सीमा अग्रवाल
हुनर
हुनर
अखिलेश 'अखिल'
किसी के अंतर्मन की वो आग बुझाने निकला है
किसी के अंतर्मन की वो आग बुझाने निकला है
कवि दीपक बवेजा
मुहब्बत कुछ इस कदर, हमसे बातें करती है…
मुहब्बत कुछ इस कदर, हमसे बातें करती है…
Anand Kumar
कोशिशें करके देख लो,शायद
कोशिशें करके देख लो,शायद
Shweta Soni
#मुक्तक
#मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet kumar Shukla
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मन डूब गया
मन डूब गया
Kshma Urmila
चीरहरण
चीरहरण
Acharya Rama Nand Mandal
कभी रहे पूजा योग्य जो,
कभी रहे पूजा योग्य जो,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
*आया जाने कौन-सा, लेकर नाम बुखार (कुंडलिया)*
*आया जाने कौन-सा, लेकर नाम बुखार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मजबूरियां थी कुछ हमारी
मजबूरियां थी कुछ हमारी
gurudeenverma198
।। अछूत ।।
।। अछूत ।।
साहित्य गौरव
यह आत्मा ही है जो अस्तित्व और ज्ञान का अनुभव करती है ना कि श
यह आत्मा ही है जो अस्तित्व और ज्ञान का अनुभव करती है ना कि श
Ms.Ankit Halke jha
अब तो आ जाओ कान्हा
अब तो आ जाओ कान्हा
Paras Nath Jha
💐प्रेम कौतुक-302💐
💐प्रेम कौतुक-302💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
धन की खाई कमाई से भर जाएगी। वैचारिक कमी तो शिक्षा भी नहीं भर
धन की खाई कमाई से भर जाएगी। वैचारिक कमी तो शिक्षा भी नहीं भर
Sanjay ' शून्य'
"अभी" उम्र नहीं है
Rakesh Rastogi
हंसें और हंसाएँ
हंसें और हंसाएँ
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
"A Dance of Desires"
Manisha Manjari
देश का दुर्भाग्य
देश का दुर्भाग्य
Shekhar Chandra Mitra
"अपनी माँ की कोख"
Dr. Kishan tandon kranti
रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
MEENU
"हास्य कथन "
Slok maurya "umang"
शमा से...!!!
शमा से...!!!
Kanchan Khanna
Loading...