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31 Mar 2024 · 1 min read

किसी के अंतर्मन की वो आग बुझाने निकला है

किसी के अंतर्मन की वो आग बुझाने निकला है
जुगनू से आगे जाकरके दीप जलाने निकला है

गूंगों की बस्ती की ज्वाला भड़क रही है भडने दो
सरकारों में आकर के आवाज दबाने निकला है

✍️𝔻𝕖𝕖𝕡𝕒𝕜 𝕤𝕒𝕣𝕒𝕝☑️

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