में इंसान हुँ इंसानियत की बात करता हूँ।
धूप की उम्मीद कुछ कम सी है,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
!! चुनौती !!
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
हमें भी देख जिंदगी,पड़े हैं तेरी राहों में।
पाया किसने आत्म को ,भाग्यवान वह कौन (कुंडलिया)
अनपढ़ दिखे समाज, बोलिए क्या स्वतंत्र हम
तेवरीः तेवरी है, ग़ज़ल नहीं +रमेशराज
जिंदगी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
चली गई अब ऋतु बसंती, लगी ग़ीष्म अब तपने
चंद्रयान 3 ‘आओ मिलकर जश्न मनाएं’
पहले खंडहरों की दास्तान "शिलालेख" बताते थे। आने वाले कल में
हिन्दी दोहा बिषय- कलश
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"वादा" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
AGRICULTURE COACHING CHANDIGARH
मुझे तरक्की की तरफ मुड़ने दो,