Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Nov 2023 · 1 min read

*पिता*…

कविता :*पिता*

पिता मेरे जीवन के कांटो पर बनकर फूल बिछ जाते हैं,
मेरे ग़म की परछाइयों पर वटवृक्ष सा बन जाते हैं,
मेरी हर कमजोरी को सहसा ही अनदेखा कर जाते हैं,
मेरा मन पढ़कर मेरे अंतर्द्वंद्व से लड़ जाते हैं।
मेरे जीवन के कांटों पर बनकर फूल बिछ जाते हैं…..

ख्वाहिशों की क्या बात करूं,
गिरवी तक अपना घर रख जाते हैं,
मेरी चाहत के आगे हर तूफान से लड़ जाते हैं,
मेरा मुस्कुराता चेहरा देख, दाव पर जीवन लगा जाते हैं
मेरा मन पढ़कर मेरे अंतर्द्वंद से लड़ जाते हैं…..

बचपन सोचो तो आंखें भर आती हैं,
अब देख बुढ़ापा उनका मेरी तबीयत क्यों घबरातीं हैं,
क्या मैं अपने पिता सा बन पाऊंगा,
जो ताकत जो संयम उनमें है,
क्या मैं भी एक पिता बन दे पाऊंगा,
मेरे सपने उनको अपने ही लगते हैं,
वह पिता है मेरे मुझ पर अपना सर्वस्व लुटा जाते हैं ।
मेरा मन पढ़कर मेरे मेरे अंतर्द्वंद से लड़ जाते है…….

मेरे पिता मेरी ताकत है, मेरी हर स्थिति से वाकिफ है,
मेरे चेहरे की सलवटो को पढ मुझे कंधे से लगाकर,
धीरे से मेरा मन पढ़ जाते हैं, बाजुओं से लेकर,
कंधों तक का बोझ उठाते हैं, अंतर्द्वंद से लड़ जाते हैं,
मेरे जीवन के कांटो पर बनकर फूल बिछे जाते हैं…

मौलिक रचना
हरमिंदर कौर
अमरोहा( यूपी)

2 Likes · 177 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैं भटकता ही रहा दश्त-ए-शनासाई में
मैं भटकता ही रहा दश्त-ए-शनासाई में
Anis Shah
याद - दीपक नीलपदम्
याद - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
बारिश
बारिश
Mr.Aksharjeet
हम कुर्वतों में कब तक दिल बहलाते
हम कुर्वतों में कब तक दिल बहलाते
AmanTv Editor In Chief
आ ठहर विश्राम कर ले।
आ ठहर विश्राम कर ले।
सरोज यादव
बाबासाहेब 'अंबेडकर '
बाबासाहेब 'अंबेडकर '
Buddha Prakash
ऐसे जीना जिंदगी,
ऐसे जीना जिंदगी,
sushil sarna
रक्षा में हत्या / मुसाफ़िर बैठा
रक्षा में हत्या / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
आज कल कुछ लोग काम निकलते ही
आज कल कुछ लोग काम निकलते ही
शेखर सिंह
ऐ सुनो
ऐ सुनो
Anand Kumar
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ/ दैनिक रिपोर्ट*
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ/ दैनिक रिपोर्ट*
Ravi Prakash
बस इतनी सी अभिलाषा मेरी
बस इतनी सी अभिलाषा मेरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आत्मनिर्भरता
आत्मनिर्भरता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
सोशलमीडिया की दोस्ती
सोशलमीडिया की दोस्ती
लक्ष्मी सिंह
■ चुनावी चकल्लस ***
■ चुनावी चकल्लस ***
*Author प्रणय प्रभात*
दोहा-
दोहा-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
ज़हन खामोश होकर भी नदारत करता रहता है।
ज़हन खामोश होकर भी नदारत करता रहता है।
Phool gufran
गुरु दीक्षा
गुरु दीक्षा
GOVIND UIKEY
प्रेम निवेश है-2❤️
प्रेम निवेश है-2❤️
Rohit yadav
रिश्तों में परीवार
रिश्तों में परीवार
Anil chobisa
शहर की गर्मी में वो छांव याद आता है, मस्ती में बिता जहाँ बचप
शहर की गर्मी में वो छांव याद आता है, मस्ती में बिता जहाँ बचप
Shubham Pandey (S P)
23/116.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/116.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बहुत कुछ बोल सकता हु,
बहुत कुछ बोल सकता हु,
Awneesh kumar
मिसाल रेशमा
मिसाल रेशमा
Dr. Kishan tandon kranti
Nothing is easier in life than
Nothing is easier in life than "easy words"
सिद्धार्थ गोरखपुरी
मोहब्बत मुकम्मल हो ये ज़रूरी तो नहीं...!!!!
मोहब्बत मुकम्मल हो ये ज़रूरी तो नहीं...!!!!
Jyoti Khari
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
हाथों से करके पर्दा निगाहों पर
हाथों से करके पर्दा निगाहों पर
gurudeenverma198
जिंदा है हम
जिंदा है हम
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
नारी बिन नर अधूरा✍️
नारी बिन नर अधूरा✍️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Loading...